भोपाल: मध्य प्रदेश से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को एक रैली के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में हाई कोर्ट से अग्रिम ज़मानत मिल गई है. आरिफ मसूद ने पिछले महीने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ भोपाल के इकबाल मैदान में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, जिसके बाद धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.


आरिफ मसूद की अग्रिम ज़मानत की याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज कोर्ट ने उनकी याचिका मंज़ूर करते हुए उन्हें अग्रिम ज़मानत दे दी. बता दें कि आरिफ मसूद विरोध प्रदर्शन के बाद से फरार थे. उनके खिलाफ पुलिस ने पहले भीड़ इकट्ठा करने का मामला दर्ज हुआ था और उसके बाद धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में भी एफआईआर दर्ज हुई थी.


फ्रांस के कृत्य का विरोध नहीं किया तो ईंट से ईंट बजा देंगे


आरिफ मसूद के खिलाफ शिकायत में कहा गया था कि इकबाल मैदान मे विधायक आरिफ मसूद ने उन्मादी भीड़ एकत्रित कर फ्रांस के राष्ट्पति का पुतला व झंडे को जलाया गया. इस दौरान ऐसे भाषण दिए गए कि फ्रांस के उक्त कृत्य का केंद्र व राज्य में बैठी हिन्दूवादी सरकार के मंत्री भी समर्थन कर रहे हैं.


हम फ्रांस की सरकार के साथ-साथ हिंदुस्तान की सरकार को भी चेतावनी दे रहे है कि यदि सरकार ने फ्रांस के कृत्य का विरोध नहीं किया तो हिंदुस्तान में ईंट से ईंट बजा देंगे. उम्दी भीड़ व विधायक मसूद के ऐसे कृत्यों से हिन्दू जनमानस में भय के साथ अत्यंत आक्रोश व्याप्त है साथ ही फ्रांस और भारत के संबंधों मैं गलत प्रभाव पड़ने की अशंका है उक्त कृत्य से मूलतः निम्न लोग ज्यादा प्रभावी रहे हैं.


क्या है धारा 153 ए
आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं. धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.