नई दिल्ली: लेफ्टिनेंट जनरल एम एम नरवणे देश के 28वें थलसेना प्रमुख होंगे. सोमवार को सरकार ने नरवणे के नाम की घोषणा की. नरवणे 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे जनरल बिपिन रावत की जगह लेंगे. चीन मामलों के जानकार माने जाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे फिलहाल वाईस चीफ (सहसेना प्रमुख) के पद पर तैनात हैं.


बता दें कि नरवणे वही सैन्य अधिकारी हैं जिन्होनें सेना की पूर्वी कमान के कमांडिंग इन चीफ (सीइनसी) के पद पर रहते हुए ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि अगर चीन हमारी सीमाओं में सौ बार घुसपैठ करता है तो हमारी सेना दो सौ बार करती है. कोलकता (फोर्ट विलियम) स्थित पूर्वी कमान की जिम्मेदारी उत्तर-पूर्व में चीन से सटी सीमाओं की रखवाली है.


माने जाते हैं कड़क अधिकारी


साल 1980 में सेना की सिख लाईट (सिखलाई) इंफेंट्री से अपने सेवाएं देश को देने वाले लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे इसी साल सितबंर के महीने में सेना के वाईस चीफ बनाए गए थे. इससे पहले भी पूर्वी कमान के सीइनसी और ट्रेनिंग कमांड के कमांडर भी रह चुके हैं. नरवणे को जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन्स में भी खासी महारत हासिल है. नरवणे श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (आईपीकेएफ) का भी हिस्सा थे. डिफेंस‌ एंड मैनेजमेंट में एमफिल कर चुके नरवणे म्यांमार में भारत के डिफेंस अटैचे भी रह चुके हैं.


महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले नरवणे को सेना में नो-नॉनसेंस और एक कड़क अधिकारी माना जाता है. कहा जाता है दिल्ली का एरिया कमांडर रहते हुए उन्होनें एक बार सरकार के मौखिक बयान को ना मानते हुए साफ कह दिया कि वे लिखित आदेश का ही पालन करते हैं.


लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह के नाम की भी थी चर्चा


नरवणे के सेना प्रमुख बनने से उन कयासों पर विराम लग गया है जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो रहे उत्तरी कमान (उधमपुर) के सीइनसी, लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह को सेना प्रमुख बनाने जाने की चर्चा थी. नरवणे को सेना प्रमुख बनाकर सरकार ने एक बार फिर सबसे सीनियर जनरल को सेना की कमान सौंपी हैं. तीन साल पहले जब जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया था तब वे वरिष्टता में तीसरे स्थान पर थे.


माना जा रहा है कि सरकार जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बना सकती है. सीडीएस की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस‌ साल 15 अगस्त को लाल किले पर अपने भाषण के दौरान की थी.


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