नई दिल्ली: साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण कल होगा. यह पूर्ण ग्रहण होगा और यह भारत में नजर आएगा. चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने को ही चंद्र ग्रहण कहते है. चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है. इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चंद्रमा तक पहुंचने में अवरोध लगा देती है तो पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्र ग्रहण नजर आता है.
कल होने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत समेत विश्व के कई देशों में देखा जा सकेगा. ग्रहण की काली छाया शाम 51:8 बजे चंद्रमा को स्पर्श कर लेगी और आंशिक चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा पृथ्वी की छाया धीरे धीरे चंद्रमा को ढकती जाएगी और इसके बाद शाम 6:21 से चंद्रमा को पृथ्वी की छाया पूरी तरह ढक लेगी. यहां से शुरू होगा पूर्ण चंद्रग्रहण.
ये पूर्ण चंद्र ग्रहण शाम 7 बजकर 7:37 मिनट तक चलेगा. 7:37 से पृथ्वी की छाया धीरे धीरे चंद्रमा से हटने लगेगी और 8 बजकर 41 मिनट पर पूरे चंद्रमा पृथ्वी की छाया से मुक्त हो जाएगा और चंद्र ग्रहण खत्म हो जाएगा. भारत में यह चंद्र ग्रहण असम, मिजोरम, अरुणांचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, पूर्वी पश्चिम बंगाल में चद्रोदय के बाद शुरु होगा. देश के बाकी हिस्सों में ग्रहण चंद्रोदय से पहले शुरु हो जाएगा. अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों, उत्तर-पूर्वी यूरोप, रूस, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी चंद्र ग्रहण नजर आएगा.
चंद्रग्रहण पूरी दुनिया में एक ही वक्त पर होगा. यानी शाम 5:18 से शुरू होकर रात 8:41 बजे खत्म होगा. चंद्रमा के उदय होने के वक्त के मुताबिक लोग चंद्र ग्रहण की अलग अलग कलाएं देख पाएंगे. यानी जहां चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले चंद्रमा का उदय होगा वहां ग्रहण शुरू होने से लेकर खत्म होने तक पूरा दिखाई देगा जैसे गुवाहाटी में चंद्रमा शाम 4 बजकर 56 मिनट पर उदय होगा तो वहां पूरा ग्रहण दिखाई देगा.
दिल्ली में चंद्रमा का उदय शाम 5 बजकर 53 मिनट पर होगा तो वहां चंद्रमा का उदय आंशिक ग्रहण में ही होगा. इसी तरह मुंबई में चंद्रमा का उदय शाम 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. इससे पहले 6.21 मिनट से पूर्ण ग्रहण शुरू हो चुका होगा. इसलिए मुंबई में चंद्रमा का उदय ही ग्रहण में होगा.
रेड मून या ब्लडी मून
पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पूरी तरह गायब नहीं होता. उसकी चमक लगभग खत्म हो जाती है और रंग लाल, धूसर और नारंगी हो सकता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता. चंद्रमा, सूरज की रोशनी से चमकता है. लेकिन ग्रहण में जब पृथ्वी सूरज और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो सूरज से आने वाला सीधा प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता.
हालांकि पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित होती हुई सूरज की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंच जाती है. सूरज की किरणों में नीले रंग को वायुमंडल विकरित कर देता है और कुछ लाल किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं जिसकी वजह से चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है. हालांकि उसकी चमक बहुत कम होती है और वो एक लाल धब्बे की तरह दिखाई देता है.
सुपर मून और ब्लू मून
ब्लू मून का मतलब ये नहीं है कि चंद्रमा का रंग नीला हो जाता है. दरअसल जनवरी के महीने में दो सुपर मून हैं जब चंद्रमा अपनी एलिप्टिकल कक्षा की वजह से पृथ्वी से सामान्य से ज्यादा नज़दीक होता है. ऐसे में चंद्रमा सामान्य से बड़ा दिखाई देता है. आम तौर पर ये महीने में एक बार से ज्यादा नहीं होता. लेकिन जब महीने में दो बार ऐसा होता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं. 1 जनवरी के बाद 31 जनवरी को सुपर मून है. इसलिए 31 जनवरी के चंद्रमा को ब्लू मून कहा जा रहा है. जैसी कि कहावत है ‘Once in a blue moon’.
इस लिंक से दुनिया के अलग अलग शहरों में चंद्र ग्रहण की कलाओं की जानकारी मिल जाएगी.