लखनऊ ज़ोनल ऑफिस ने शुक्रवार (12 दिसंबर 2025) की सुबह करीब 7:30 बजे गैरकानूनी कफ सिरप ट्रेडिंग के बड़े मामले में 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की. ये ठिकाने मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल से जुड़े लोगों—अलोक सिंह, अमित सिंह और उन मैन्युफ़ैक्चरर्स के हैं, जिन्होंने धोखाधड़ी से कफ सिरप की सप्लाई अवैध कारोबार के लिए उपलब्ध कराई. इसके अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) विष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर भी कार्रवाई की जा रही है.

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छापेमारी लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), रांची (झारखंड) और अहमदाबाद (गुजरात) में चल रही है. अधिकारियों के मुताबिक, ECIR दर्ज किया गया है, जो पिछले दो महीनों में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों लखनऊ, वाराणसी, सोनभद्र, सहारनपुर और ग़ाज़ियाबाद में दर्ज 30 से ज़्यादा FIRs के आधार पर है. ये FIRs कोडीन आधारित कफ़ सिरप की अवैध स्टॉकिंग, ट्रांसपोर्टेशन, ट्रेडिंग और क्रॉस-बॉर्डर सप्लाई से जुड़ी हैं. जांच में अब तक सामने आया है कि इस पूरे रैकेट में हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अवैध पैसा (POC) शामिल है.

मुख्य आरोपी फरारइस मामले का मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल अब भी फरार है और माना जा रहा है कि वह दुबई में छिपा हुआ है. वहीं, उसका पिता भोला प्रसाद गिरफ्तार किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश पुलिस अब तक 32 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. छापेमारी में कई फर्ज़ी पते और फर्जी फर्में भी मिली हैं, जिन पर ये अवैध कारोबार चल रहा था और जिनके नाम से कफ सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त की जा रही थी. जांच एजेंसियों का कहना है कि छापेमारी जारी रहेगी और पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाएगा.

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कफ सिरप क्यों है हानिकारक?

कई कफ सिरप ऐसे होते हैं जिनमें कोडीन (Codeine) जैसे ओपिओइड मिलाए जाते हैं. कानून के मुताबिक इन दवाइयों को केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचा जाना चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन सिरप का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल किया जाता है.

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