उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार (23 सितंबर, 2025) को बैंक ऑफ इंडिया के 6.8 करोड़ रुपये के फ्रॉड केस में चार आरोपियों को दोषी करार दिया और सजा सुनाई है. यह मामला साल 2004 से 2006 के बीच का था.

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इस मामले में आरोप है कि बैंक अधिकारियों और कुछ प्राइवेट लोगों ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों और नकली वर्क ऑर्डर लगाकर बैंक ऑफ इंडिया, हजरतगंज ब्रांच, लखनऊ से कैश क्रेडिट की सुविधा ली. इन पैसों को असली काम में इस्तेमाल करने की बजाय निजी फायदे के लिए घुमाया गया. इससे बैंक को 6.8 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?

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मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी चीफ मैनेजर पंकज खरे, राजेश खन्ना (प्राइवेट शख्स), शमशुल हक सिद्दीकी (प्राइवेट शख्स), इन तीनों को 3 साल की जेल और 1.25 लाख रुपये जुर्माना देना होगा. इसके अलावा, अनिता कॉन्ट्रैक्टर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सीबीआई ने 2008 में बैंक की शिकायत पर केस दर्ज किया था और 2009 में चार्जशीट फाइल की थी.

मामले में कुल 9 आरोपी थे शामिल

  • अनिता जैन (मैनेजिंग डायरेक्टर, अनिता कॉन्ट्रैक्टर एंड कंस्ट्रक्शन)
  • प्रेम प्रकाश अवस्थाना (चीफ मैनेजर, बैंक ऑफ इंडिया)
  • पंकज खरे (डिप्टी चीफ मैनेजर, बैंक ऑफ इंडिया)
  • सुधीर कुमार जैन (प्रोप्राइटर, जमुना कंस्ट्रक्शन कंपनी)
  • मोहम्मद इस्तेयाक खान (प्राइवेट शख्स)
  • पूनम सिन्हा (प्राइवेट शख्स)
  • राजेश खन्ना (प्राइवेट शख्स)
  • शमशुल हक़ सिद्दीकी (प्राइवेट शख्स)
  • अनिता कॉन्ट्रैक्टर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी)

सबूतों की कमी के कारण आरोपी अनिता जैन को किया गया रिहा

मामले में आरोपी अनिता जैन को सबूतों की कमी की वजह से बरी कर दिया गया. प्रेम प्रकाश अवस्थाना और पूनम सिन्हा के खिलाफ केस ट्रायल के दौरान ही खत्म कर दिया गया था. सुधीर कुमार जैन और मोहम्मद इस्तेयाक खान की ट्रायल के दौरान मौत हो गई. आखिर में कोर्ट ने चार को दोषी मानते हुए सजा सुनाई और बाकी को राहत दी.

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