कोरोना वायरस के तेजी से फैलते मामले के कारण उपकरणों की भारी कमी हो गई है. वेंटिलेटर, ग्लोव्स, आईसीयू, पीपीई किट्स जैसे स्वास्थ्य उपकरण कोरोना की जंग के लिए पर्याप्त नहीं हो रहे हैं. ऐसे में एम्स ऋषिकेश और IIT रुड़की की पहल किसी वरदान से कम नहीं है.


स्वदेशी वेंटिलेटर का सफल परीक्षण


एम्स ऋषिकेश और IIT रुड़की ने किफायती वेंटिलेटर का कामयाब परीक्षण किया है. मंगलवार को ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों ने ऐलान किया कि 'प्राणवायु' का सफल परीक्षण कर लिया गया है. IIT रुड़की की मदद से बनाया गया उपकरण विशेष तौर पर कोविड-19 मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. प्राणवायु नामी वेंटिलेटर को दो महीने पहले विकसित किया गया था. इसकी कीमत 25 हजार से 30 हजार के बीच रखी गई है. एम्स के डॉक्टरों की पांच सदस्यीय टीम ने इसकी विश्ववसनीयता और प्रभावी होने की पुष्टि की है.


कोविड-19 की जंग में प्राण फूंकेगा 'प्राणवायु'


अधिकारियों ने बताया कि स्वदेशी वेंटिलेटर का परीक्षण एम्स के लैब में किया गया. एम्स ऋषिकेश के डायरेक्टर रविकांत ने कम समय में उन्नत क्षमता के साथ वेंटिलेटर के निर्माण पर टीम को बधाई दी है. उन्होंने कोरोना संकट की घड़ी में किफायती वेंटिलेटर को बहुत फायदेमंद बताया. IIT रुड़की के डायरेक्टर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि वेंटिलेटर की तैयारी में देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने स्वदेशी उपकरण को सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान का पथ प्रदर्शक बताया. वेंटिलेटर को इस तरह तैयार किया गया है कि जरूरत पड़ने पर इसे ICU की शक्ल भी दिया जा सकेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि स्वदेशी वेंटिलेटर ज्यादा जोखिम वाले मरीजों की जिंदगी बचाने में मददगार साबित हो.


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