Lok Sabha Security Breach: संसद भवन को देश की सबसे सुरक्षित इमारत माना जाता है. हालांकि, बुधवार (13 दिसबंर) को उसकी सुरक्षा में उस वक्त सेंध लग गई, जब दो युवक सदन के अंदर दर्शक दीर्घा से सांसदों के बैठने वाली जगह में कूद गए. इस दौरान उन्होंने वहां कलर स्मोक स्टिक जला दी, जिससे वहां धुआं-धुंआ हो गया और अफरा-तफरी मच गई. वहीं, दो अन्य लोगों ने संसद के बाहर नारेबाजी की. इस दौरान उन्होंने भारत माता की जय, जय भीम और तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगाए. 


पुलिस ने घटना में शामिल 5 आरोपियों को हिरासत में ले लिया है, जबकि एक की तलाश जारी है. हालांकि, अब यह सवाल सब के मन में उठ रहा है कि आखिर संसद की सुरक्षा कैसे होती है और आखिर इसमें इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?


कैसे होती है संसद की सुरक्षा?
संसद की सुरक्षा पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस करती है. इसमें सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और संसद की अपनी सुरक्षा टीम होती है. संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) के पास होता है. इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा के अपने-अपने सुरक्षा घेरे होते हैं. इन्हें लोकसभा सचिवालय और राज्यसभा सचिवालय संचालित करते हैं.


इसके अलावा संसद का भवन का अपना अलग इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम भी है. इसके लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है, जिसमें पार्लियामेंट परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी की जाती है. इसके अलावा भी संसद में जाने के लिए कई सिक्योरिटी चेक से होकर गुजरना पड़ता है. 


संसद में कैसे मिलती है एंट्री?
सांसदों के अलावा संसद में जाने के लिए सभी को विजिटर कार्ड की जरूरत होती है. यह पास संसद सचिवालय से बनवाए जाते हैं. इसके अलावा सांसद के जरिए भी संसद का पास बनवाया जा सकता है. इसके लिए सांसद की सिफारिश की जरुरत होती है.  


पास मिलने से पहले सख्त चेकिंग
पास के लिए विजिटर को सांसद का साइन किया रेफ्रेंस लेटर दिखाना होता है. इसके बाद उनकी जांच की जाती है. इसके बाद भी विजिटर को कई जांचों से होकर गुजरना पड़ता है. इस दौरान उनके सामान की जांच भी होती है. संसद में विजिटर्स को फोन, बैग, पेन, पानी की बोतलें और यहां तक कि सिक्के ले जाने की भी अनुमति नहीं है और उन्हें अपना आधार कार्ड भी दिखाना होता है.


गेट पर जमा हो जाता है नुकीला सामान
पास मिलने से पहले विजिटर को कम से कम तीन फुल-बॉडी स्कैनर से गुजरना होता है. इस प्रक्रिया के बाद ही विजिटर को पास दिया जाता है. इसके बाद ही विजिटर को संसद के गेट में घुसने की इजाजत मिलती है. किसी भी तरह का हथियार, नुकीली वस्तु, पान, बीड़ी, सिगरेट या माचिस जैसा कोई भी सामान गेट पर ही जमा हो जाता है.


विजिटर पास की चेकिंग
इसके बाद विजिटर सुरक्षा लेयर के दूसरे लेवल में प्रवेश करता है, जहां कर्मचारी यह सुनिश्चित करते हैं कि विजिटर को वैध प्रवेश परमिट के आधार पर ही एंट्री दी गई है. इसके अलावा यहां भी कर्मचारी विजिटर के सभी बैग/ब्रीफकेस यानी बैगेज की स्कैनर से जांच करते हैं.


मेटल डिटेक्टर से जांच
इसके बाद दर्शक दीर्घा में एंटर होने से पहले एक बार फिर से विजिटर की जांच की जाती है. पब्लिक गैलरी चेकिंग पोस्ट पर तैनात सुरक्षा कर्मचारी यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी विजिटर की डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर/हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर के माध्यम से तलाशी ली जाए.


विजिटर की कड़ी निगरानी
गैलरी में प्रवेश करते ही सुरक्षा कर्मचारियों एक बार फिर से विजिटर पास की जांच करते हैं. आधिकारिक सुरक्षा प्रक्रिया मैनुअल के अनुसार साथ ही विजिटर पर कड़ी निगरानी भी की जाती है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि वे नारे लगाने या चैंबर में कूदने का प्रयास करने जैसी किसी भी तरह की शरारत या गड़बड़ी ने करें.


नियम तोड़ने पर सजा 
संसद नियमावली में लिखा है कि उल्लंघन करने पर विजिटर के खिलाफ क्या कदम उठाए जाने चाहिए. नियमों के अनुसार अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ देश द्रोह से संबंधित धाराएं लगाई जा सकती हैं और इसमें उम्र कैद तक की सजा हो सकती है.


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