लोकसभा में ग्रामीण विकास मंत्रालय से पूछा गया कि मनरेगा के जॉब कार्ड से कितने मजदूरों का नाम हटाया गया है. क्या ये eKYC की वजह से हुआ है. मंत्रालय से इसको लेकर 14 अक्टूबर से लेकर 14 नवंबर के बीच की जानकारी मांगी गई. इसके जवाब में लोकसभा में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री कमलेश पासवान ने बताया की 10 अक्टूबर से 14 नवंबर 2025 के बीच 16.31 लाख मजदूरों के नाम मनरेगा सूची से हटाए गए हैं. मनरेगा के जॉब कार्ड हटाना एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे राज्य सरकार समय-समय पर करती रहती हैं.
मंत्री ने e -KYC को लेकर भी जानकारी दी कि बड़ी संख्या में हटाए गए नामों का कारण eKYC लागू करना नहीं है. मंत्री के अनुसार, जॉब कार्ड मुख्य रूप से फर्जी या डुप्लीकेट पाए जाने, परिवार के गांव छोड़कर स्थायी रूप से कहीं और बसने, ग्राम पंचायत के शहरी क्षेत्र घोषित होने या जॉब कार्ड धारक की मृत्यु जैसी वजहों से हटाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि किसी पात्र मजदूर का जॉब कार्ड हटे, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को सख्त दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं.
NMMS ऐप को पहले से ही अनिवार्य किया गया
मनरेगा में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए NMMS ऐप को पहले से ही अनिवार्य किया गया है. मजदूरों के दो टाइम-स्टैम्प्स, जियो-टैग्ड फोटो प्रतिदिन अपलोड किए जाते हैं. वहीं वेतन भुगतान में देरी रोकने के लिए आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (APBS) लागू है. सरकार ने कहा कि इन तकनीकी व्यवस्थाओं के कारण किसी का जॉब कार्ड नहीं हटाया जाता. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में 5 दिसंबर तक कुल 54.02 लाख जॉब कार्ड हटाए गए, जबकि 118.57 लाख नए मजदूर योजना से जुड़े हैं. यानी योजना में नए पंजीकरण हटाए गए नामों से कहीं अधिक हैं.
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