नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंदर का झगड़ा अब धीरे धीरे विश्वविद्यालय प्रसाशन बनाम शिक्षा मंत्रालय होता जा रहा है. शिक्षा मंत्रालय के एक डिप्टी सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी के लेटर का जवाब देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत वाइस चांसलर ही सभी निर्णय लेने के अधिकृत हैं, उन्होंने जो भी निर्णय लिए हैं वो नियमों के तहत लिए गए है.
दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय का ये झगड़ा नया नहीं है. विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर योगेश त्यागी कुछ दिन पहले अपने इलाज के लिए मेडिकल छुट्टी पर चले गए थे. उनके न रहने पर प्रो वाइस चांसलर पीसी जोशी को वीसी का चार्ज दिया गया था. बताया जाता है कि इस बीच प्रो वीसी जोशी ने विश्वविद्यालय के अंदर कई प्रशासनिक फेरबदल कर दिए. जब इसकी जानकारी वीसी योगेश त्यागी को लगी तो उन्होंने उनके निर्णयों पर रोक लगा दी. यही से विश्वविद्यालय प्रशासन के अंदर शुरू पॉवर वार. कहा जाता है कि प्रो वीसी पीसी जोशी को शिक्षा मंत्रालय के बड़े अधिकारी का वरदहस्त है जिसके चलते उन्होंने वीसी त्यागी के आदेशों की भी अनदेखी की और बिना उनकी सहमति के विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार बदल दिया और विकास गुप्ता को रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया. जिसके बाद योगेश त्यागी ने पीसी झा को रजिस्ट्रार का अतिरिक्त चार्ज देते हुए डॉ गीता भट्ट को प्रो वीसी नियुक्त कर दिया. वीसी के इस आदेश के बाद शिक्षा मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी वीरेंद्र कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र लिखा जिसमे प्रो वीसी के रूप में पीसी जोशी को माना और वीसी योगेश त्यागी को बीमार माना है. यह भी लिखा है कि जब तक उनका मेडिकल फिटनेस पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को न मिल जाये तब तक प्रो वीसी पीसी जोशी ही वीसी के रूप जिम्मेदारी निभाते रहेंगे.
उनके इस पत्र के मिलने के बाद कार्यवाहक रजिस्ट्रार पीसी झा ने उनके पत्र का जवाब देते हुए उनके पत्र पर आपत्ति जताई है. उन्होंने जवाब में लिखा कि आपने विकास गुप्ता को संबोधित करते हुए पत्र लिखा. जबकि कार्यवाहक रजिस्ट्रार के रूप में पीसी झा काम देख रहे हैं. जबकि वीसी योगेश त्यागी के आदेश पर डॉ गीता भट्ट को प्रो वीसी नियुक्त किया जा चुका है. ये सभी निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत लिए गए है.
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय है. और भारत के उपराष्ट्रपति उसके कुलपति है. केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के चलते प्रशासनिक कार्यो के निर्वाहन का पूरा जिम्मा वीसी के पास होता है. वीसी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि मंत्रालय किसके कहने पर लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन कर काम मे हस्तक्षेप कर रहा है?