पिछले 12 दिनों में ईंधन की कीमतों में बार-बार इजाफा ने लोगों को हर तरह से प्रभावित किया है. इससे ना केवल उनकी दैनिक यात्रा की लागत बढ़ी है, बल्कि उनके भोजन के बिलों पर भी असर पड़ा है. ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण देश के कई हिस्सों में परिवहन लागत में वृद्धि हुई है, जिसके चलते सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. इस कारण सब्जी बेचने वालों के साथ-साथ ग्राहकों को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. 

वहीं, सब्जियों में भी नींबू और हरी मिर्च के दाम आसमान पर है. गुजरात में एक नींबू की कीमत 18 से 25 रुपये है. थोक बाजार में नींबू करीब 300 रुपये किलो बिक रहा है. जोधपुर के वस्त्रपुर में नींबू की खुदरा कीमतें 400 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई हैं.

दिल्ली में एक नींबू की कीमत 10 रुपये से ज्यादा 

दिल्ली में नींबू की कीमतें 300 रुपये से 350 रुपये प्रति किलो के बीच है. यानी कि दिल्ली में भी एक नींबू की कीमत 10 रुपये से ज्यादा है. दिल्ली में मार्च के महीने से ही रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है, ऐसे में चिलचिलाती गर्मी के बीच आम लोगों के लिए नींबू-पानी एक लग्जरी पेय बन गया है. वहीं हैदराबाद में एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि वह पहले एक पूरी नींबू की बोरी 700 रुपये में खरीदता था, लेकिन अब उसकी कीमत 3,500 रुपये हो गई है.

राज्यों में प्रति किलोग्राम नींबू के दाम

दिल्ली- 350 रुपयेसूरत- 300 रुपयेउत्तराखंड- 350 रुपयेनागपुर- 300 रुपयेजयपुर- 400 रुपयेनोएडा- 428 रुपयेहरियाणा- 420 रुपयेमुंबई- 320 रुपयेकोलकाता- 300 रुपये

नींबू के साथ शहरों में रही मिर्च भी महंगे रेट पर बिक रही है. बेंगलुरु में हरी मिर्च की कीमत दो दिन पहले 120 रुपये प्रति किलो हो गई थी. वहीं, दिल्ली में एक किलो हरी मिर्च एक लीटर पेट्रोल की कीमत से ज्यादा है. नींबू की कीमतों में उछाल को लेकर सोशल मीडिया पर मीम्स भी शेयर किए जा रहे हैं. एक यूजर ने लिखा कि अब बाइक और कारों में असली नींबू और मिर्च के बजाए स्टिकर होंगे. 

नींबू और मिर्च के दामों में जिस कदर उछाल आया है उतनी ऊंची कीमतों पर शायद ही लोग सब्जी खरीद रहे हैं. नींबू या मिर्च जो कभी सबसे कम रेट या मुफ्त में दिए जाते थे, अब लोग इसे जरूरत के हिसाब से खरीद रहे हैं या खरीदने से मना कर रहे हैं. 

दिल्ली में प्रति किलोग्राम सब्जी के दाम-

टमाटर- 40-45 रुपये लौकी- 40 रुपयेआलू- 25 रुपयेतरबूज- 30 रुपयेनींबू- 350 रुपयेशिमला मिर्च- 100 रुपयेप्याज- 40 रुपये

दिल्ली में टमाटर 40 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि पहले कीमत 25-30 रुपये थी. लौकी की कीमत 40 रुपये प्रति किलो है. आलू की कीमत भी बढ़ गई है. आलू पहले 10-15 रुपये प्रति किलो बिकता था. तरबूज जिसे गर्मी के मौसम में खूब चाव से लोग खाते हैं, यह 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि इसकी कीमत पहले 20-25 रुपये प्रति किलो थी. इसी तरह दिल्ली में प्याज के दाम बढ़कर 40 रुपये प्रति किलो हो गए हैं, जो पहले 30-35 रुपये प्रति किलो बिक रहा था.

उत्तराखंड में सभी सब्जियों के दाम बढ़े

उत्तराखंड में भी करीब-करीब सभी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं. यहां मंडी में नींबू 200-250 रुपये और करेला 30-35 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, बिहार में मूली, कद्दू और लौकी की कीमतों में भी पिछले हफ्ते उछाल देखा गया. ऐसे में सब्जी विक्रेताओं का मुनाफा घट रहा है और बिक्री कम हो रही है. 22 मार्च से पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों में इजाफे ने सब्जी विक्रेताओं के लिए सब्जियों के परिवहन की लागत पर असर डाला है.

चूंकि गर्मी के साथ अभी रमजान का महीना भी चल रहा है, ऐसे में नींबू की मांग भी बढ़ गई है. गुजरात में खराब मौसम की वजह से नींबू के भाव भी आसमान छू रहे हैं. चक्रवात के चलते कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में फसलें बर्बाद हो गईं. 

दुनिया भर में खाद्य कीमतें उच्चतम स्तर पर

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का कहना है कि मार्च में दुनिया भर में खाद्य कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं, क्योंकि रूस के यूक्रेन पर हमले ने बाजारों को अनाज और वनस्पति तेलों की दामों से झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने कहा है कि उसका खाद्य मूल्य सूचकांक (Food Price Index) वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मासिक परिवर्तन को ट्रैक करता है. खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि फरवरी की तुलना में मार्च में विश्व खाद्य कीमतों में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक,मार्च में औसत सूचकांक 159.3 अंक था, जो फरवरी के स्तर से 12.6 प्रतिशत अधिक है.

यूक्रेन में युद्ध काफी हद तक जिम्मेदार

रूस- यूक्रेन में युद्ध ने अनाज और वनस्पति तेलों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया है और बड़े पैमाने पर आपूर्ति में व्यवधान का कारण बना है. खाद्य और कृषि संगठन ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध गेहूं, जई, जौ और मकई सहित अनाज की कीमतों में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए काफी हद तक जिम्मेदार रहा.

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