सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला. एक वकील कोर्ट रूम में चीफ जस्टिस बी आर गवई के आसन की तरफ आक्रामक तरीके से बढ़ा. कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर कर दिया. बाहर जाते समय वकील ने 'सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' का नारा भी लगाया.

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सुबह लगभग 11.30 बजे हुई इस घटना के कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वकील ने अपना जूता उतारने का प्रयास किया, जबकि कुछ चश्मदीदों का कहना है कि वह जूता उतारने की बजाय गोल मोड़े हुए कागज को लहराते हुए कुछ कहने की कोशिश कर रहा था. वकील को पुलिस के हवाले कर दिया गया है.

इस मामले को खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली से जुड़े एक मामले से में चीफ जस्टिस की टिप्पणी से जोड़ कर देखा जा रहा है. 16 सितंबर को चीफ जस्टिस ने इस विषय को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकार क्षेत्र में आने वाला बताते हुए दखल देने से मना किया था. उसी दौरान उन्होंने याचिका से हल्के-फुल्के लहजे में कह दिया था, 'आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं. आप उन्हीं से प्रार्थना कीजिए कि वह कुछ करें.'

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​इस टिप्पणी का सोशल मीडिया में भारी विरोध हुआ था. लोगों ने चीफ जस्टिस पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था. इसके बाद 18 सितंबर को चीफ जस्टिस गवई ने खुली अदालत में सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि उनकी मंशा किसी का अनादर करने की नहीं थी. वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं.

धीरे-धीरे यह विवाद ठंडा पड़ चुका था, लेकिन सोमवार को एक वकील के विरोध ने इसे चर्चा में ला दिया. वकील का नाम राकेश किशोर बताया जा रहा है. जिस समय वकील जजों के आसन के नजदीक था, उस समय उसने बेंच में चीफ जस्टिस के साथ बैठे जस्टिस विनोद चंद्रन से यह भी कहा कि उसका विरोध सिर्फ चीफ जस्टिस से है.

​इस घटना के दौरान चीफ जस्टिस पूरी तरह शांत बैठे रहे. उन्होंने वकीलों को दिलासा देते हुए काम जारी रखने को कहा. चीफ जस्टिस ने कहा, 'आप लोग ऐसी बातों से विचलित न हों. ऐसी चीजें मुझे प्रभावित नहीं करती हैं.' पूरा घटनाक्रम मुश्किल से 1 मिनट का रहा. इस घटना के बाद कोर्ट की कार्रवाई सुचारू रूप से चलती रही.