यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि है कि उसने लखीमपुर खीरी कांड के 1 गवाह की शिकायत पर एफआईआर लिखी है. गवाह ने केस के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और उसके पिता अजय मिश्रा टेनी पर धमकाने के लिए लोग भेजने का आरोप लगाया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में आगे की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी करें.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने आशीष मिश्रा को भी कुछ रियायत दी है. कोर्ट ने अपने आदेश पर लखीमपुर से बाहर रह रहे आशीष को 20 अक्टूबर को दीवाली पर घर जाने की अनुमति दी. कोर्ट ने कहा कि वह इस दौरान घर पर रहे. राजनीतिक लोगों या समर्थकों से न मिले. 22 अक्टूबर की शाम लखीमपुर से लौट जाए.
क्या है मामला?3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई आरोपियों की पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी. मामले का मुख्य आरोपी तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है.
10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 18 अप्रैल, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था. उसके बाद वह जेल में रहा. 25 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ उसकी रिहाई का आदेश दिया.
जुलाई, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदल दिया था. कोर्ट ने शर्त रखी थी कि वह दिल्ली या लखनऊ में रहे. इस साल 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ रियायत देते हुए कहा था कि वह सप्ताह में 1 दिन परिवार से मिलने लखीमपुर जा सकता है.