लद्दाख के पुलिस महानिदेशक एस. डी. सिंह जामवाल ने शनिवार (27 सितंबर, 2025) को कहा कि सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, नहीं तो पूरा लेह जलकर राख हो जाता. उन्होंने कहा कि बुधवार (24 सितंबर, 2025) को केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी में हुई हिंसा जबरदस्त थी और इसके लिए उन्होंने निहित स्वार्थों और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया.
बुधवार (24 सितंबर) को लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के हिंसक हो जाने पर पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी थी और पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) पर कथित तौर पर पथराव किया था.
झड़प में 70 से 80 पुलिस और CRPF कर्मी भी घायल- जामवाल
जामवाल ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सुरक्षा बलों ने अंधाधुंध गोलीबारी की. उन्होंने कहा कि ऐसा केवल आत्मरक्षा में और बड़े पैमाने पर हिंसा भड़कने से रोकने के लिए किया गया था. पुलिस महानिदेशक (DGP) ने कहा, ‘यदि आप फुटेज और उन परिस्थितियों को देखें, जिनमें हमारे सुरक्षा बलों ने काम किया, तो उन्होंने बेहद सराहनीय काम किया. दोपहर में हिंसा शुरू होने के बाद शाम चार बजे तक स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मैं उन्हें सलाम करता हूं.’ उन्होंने कहा कि झड़प में लगभग 70 से 80 पुलिस और सीआरपीएफ कर्मी भी घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘क्या आप चाहते हैं कि पुलिस बल के जवान मारे जाएं? यह संभव नहीं है. हर किसी की एक जिंदगी होती है. जब उन्होंने एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला किया और उसे आग लगा दी, तो लद्दाख पुलिस की चार महिला कांस्टेबल अंदर थीं. हमने बड़ी मुश्किल से उन्हें बचाया. वहां तैनात सीआरपीएफ के जवानों को बुरी तरह पीटा गया था और उनमें से एक अभी भी रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण सेना अस्पताल में भर्ती है.’
शांति भंग करने की कोशिश की मिली थी खुफिया जानकारी- जामवाल
डीजीपी ने कहा, ‘सचिवालय पर हमला किया गया, जहां ज्यादातर कार्यालय स्थित हैं. क्या आप चाहते हैं कि कर्मचारी जलकर मर जाएं? आप ऐसा नहीं चाहते. हिंसा का उद्देश्य अराजकता पैदा करना था और अराजकता का मुकाबला करना हमारा मुख्य कार्य था.’
जामवाल ने सीआरपीएफ की अग्रिम तैनाती का बचाव करते हुए कहा कि खुफिया जानकारी थी कि वांगचुक समेत कुछ तत्व शांति भंग करने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘यदि उस दिन सीआरपीएफ वहां नहीं होती, तो मैं पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि पूरा शहर जलकर खाक हो गया होता.’ उन्होंने कहा, ‘हम यहां कोई बल नहीं चाहते. हम शांति चाहते हैं. लेकिन शांति तभी आएगी, जब नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझेंगे.’ पुलिस प्रमुख के अनुसार, बुधवार (24 सितंबर) को लगभग छह हजार लोगों ने उत्पात मचाया.
लद्दाख के लोगों ने हमेशा पुलिस और प्रशासन का दिया है साथ- जामवाल
उन्होंने कहा, ‘मैं दूसरी बार यहां तैनात हूं. मैं लद्दाख के लोगों की मानसिकता जानता हूं. मेरा मानना है कि लद्दाख के लोगों ने हमेशा पुलिस और प्रशासन का साथ दिया है. मैं जिनसे भी मिला, वे सभी इस बात से शर्मिंदा हैं. किसी ने भी इस तरह की हिंसा की उम्मीद नहीं की थी.’ जामवाल ने पुलिस बल के सदस्यों के हताहत होने की भी जानकारी दी और कहा कि इस साल तीन अलग-अलग घटनाओं में दो पुलिस कांस्टेबल और एक इंस्पेक्टर की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई.
उन्होंने कहा, ‘पिछले महीने जब बाढ़ और भूस्खलन हुआ था, तब हमारी पुलिस ने दिन-रात काम किया था. उससे पहले, मार्च में, चांगला दर्रे पर बर्फबारी में 200-300 वाहन फंस गए थे. हमने पूरी रात लोगों को सुरक्षित निकालने में बिताई.’ जामवाल ने कहा कि 1,800 सरकारी नौकरियों के लिए विज्ञापन दिया गया है, जबकि पुलिस भर्ती अभियान की भी योजना बनाई गई है. उन्होंने लद्दाख में शांति बनाए रखने में युवाओं से सहयोग मांगा. उन्होंने कहा कि पिछले दिन लगभग 500 पुलिस रंगरूटों की पासिंग आउट परेड होनी थी, लेकिन उसे स्थगित करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘हम आपके साथ हैं और चाहते हैं कि आप पुलिस बल में शामिल हों.’
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