Kumar Vishwas on Ayodhya: यूपी के अयोध्या में बने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा लेने जाने-माने कवि डॉ. कुमार विश्वास भी पहुंचे थे. अयोध्या में उतरते ही वह प्रभु श्रीराम की धरती के आगे नतमस्तक हो गए थे. नंगे पांव मंदिर परिसर में पहुंचे कवि ने बताया कि अयोध्या की इस धरती पर कभी भगवान राम नंगे पैर चले होंगे और वह उसी बात का एहसास करना चाहते थे. 


बाद में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंदिर परिसर में खास पैगाम भी रिकॉर्ड किया. शॉर्ट वीडियो के रूप में सोशल मीडिया मंच एक्स पर उन्होंने उस मैसेज को शेयर किया. कवि उस क्लिप में कहते नजर आए कि भव्य मंदिर निर्माण के लिए 550 साल का लंबा इंतजार पूरा हुआ है. वह इस दौरान अभिनेता मनोज जोशी के साथ खड़े थे. 


कारसेवकों के आंसुओं का फल मिला
वीडियो संदेश में कुमार विश्वास कहते नजर आए, "बहुत ही सौभाग्य का क्षण है. 550 वर्षों तक लोगों ने इस पल का इंतजार किया. लोगों की बेचैनी और इंतजार‌ का जो दुख था वह खत्म हुआ है. इसलिए यह आनंद का क्षण है." साथ में खड़े मनोज जोशी ने इस दौरान बताया कि यह परमानंद का क्षण है.


कुमार विश्वास ने आगे बताया कि उनके ताऊजी विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संगठन मंत्री थे. तब उनके साथ (1992 में) अक्टूबर के समय जो कारसेवा हुई थी उसमें वह शामिल हुए थे. 10 लाख लोग इस मंदिर के लिए सड़कों पर उतरे थे. कारसेवकों के जो आंसू बहे थे उसका प्रतिफल इस भव्य राम मंदिर के रूप में देखने को मिल रहा है.





'राम भारत की आत्मा के डीएनए'

 यूपी के गाजियाबाद में रहने वाले कवि ने इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, "राम मंदिर भारत का एक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक आंदोलन था. उससे राजनीति में भी कुछ लोग मिले और जुड़े, कुछ सरकारें बनीं और गिरीं. राम मंदिर आंदोलन के आवेग को समझने की भूल राजनीतिक पंडितों ने की. राम इस देश की आत्मा का डीएनए हैं. लोगों ने सोचा कि मंडल-कमंडल की लड़ाई है. लोगों ने यह भी सोचा कि बीजेपी-जनता दल की लड़ाई है मगर ऐसा नहीं था."


'जब नाश मनुज पर छाता है...'
विपक्षी नेताओं के भव्य कार्यक्रम में शामिल न होने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कुमार विश्वास ने बताया था, "एक पंक्ति कही गई है कि जब नाश मनुज पर छाता है विवेक पहले मर जाता है. जिनको निमंत्रण दिया गया वो फिर भी नहीं आ रहे हैं. हालांकि, उनके आने या नहीं आने से राम पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. इस तरह के मांगलिक अवसरों पर ऐसे राजनीति करना ठीक नहीं है.'


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