कोलकाता में भारी बारिश के कारण जलभराव हो जाने और बिजली का करंट लगने से कम से कम नौ लोगों की मौत के बाद कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की टिप्पणी ने गुरुवार (25 सितंबर, 2025) को राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया. अधिकारी ने टिप्पणी दी कि जलमग्न सड़कों पर कदम रखना ‘आत्महत्या’ के समान है.

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शहर और आसपास के इलाकों में 23 सितंबर की सुबह हुई मूसलाधार बारिश में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई. इनमें से नौ मौतें कोलकाता में और दो आसपास के इलाकों में हुईं. केएमसी में जल निकासी के प्रभारी एवं महापौर शासी परिषद के सदस्य व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता तारक सिंह ने कहा कि नागरिकों को सावधानी बरतनी चाहिए और बाढ़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए, जहां बिजली के खंभे शॉर्ट सर्किट का खतरा पैदा करते हैं.

भाजपा ने विवादास्पद टिप्पणी को लेकर बोला हमला

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सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब हम सभी जानते हैं कि जलमग्न सड़कों पर जाने से शॉर्ट सर्किट हो सकता है और इस कारण मौत भी हो सकती है, तब भी अगर कोई इसमें उतरता है तो यह आत्महत्या करने के समान है.’ इस टिप्पणी की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की और सत्तारूढ़ टीएमसी पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पार्षद सजल घोष ने सिंह की टिप्पणी का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘इस तर्क से तो मेयर फिरहाद हकीम को पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें हाथ में छाता लिए घुटनों तक पानी में चलते देखा गया था, क्या उन्होंने आत्महत्या का भी प्रयास किया था?’

माकपा ने मौतों को बताया हत्या

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने इन मौतों को ‘आत्महत्या नहीं, हत्या’ करार दिया और राज्य सरकार, केएमसी और बिजली कंपनी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘यह मानव जनित आपदा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और प्रशासन की लापरवाही और अक्षमता के कारण कई लोगों की जान चली गई.’

कांग्रस की राज्य इकाई के प्रवक्ता सुमन राय चौधरी ने भी सिंह की टिप्पणी को ‘बेशर्म बचाव’ कहा. उधर टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी के साथ गुरुवार को बैठक की.

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