लखनऊ: यूपी में अब योगी सरकार के किसी मंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ेगा.. सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह और मोहसिन रजा अभी न तो MLA हैं और न ही MLC. इन्हें हर हाल में 19 सितंबर तक यूपी के किसी भी सदन का सदस्य बनना ज़रूरी है. गोरखपुर से योगी और फूलपुर से केशव लोकसभा के सांसद हैं.


चुनाव आयोग ने विधान परिषद के उप चुनाव की तारीख़ का एलान कर दिया है, लेकिन सिर्फ़ चार सीटों के लिए.. 5 सितंबर को नामांकन है और 15 तारीख़ को वोटिंग के साथ साथ चुनाव के नतीजे भी आ जायेंगे... किसी भी सदन का सदस्य रहे बिना कोई भी मंत्री तो बन सकता है लेकिन शपथ लेने के छह महीने में उन्हें MLA या MLC बनना ज़रूरी है.

यशवंत सिंह, अशोक वाजपेयी, सरोजिनी अग्रवाल और बुक्कल नवाब ने हाल में ही MLC के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.. बाद में ये सभी नेता बीजेपी में शामिल हो गए.. विधान परिषद से इस्तीफ़ा देने से पहले ये सब समाजवादी पार्टी में थे. इनके बदले अब बीजेपी के चार नेता MLC बन सकते हैं, लेकिन ज़रूरत तो पांच की है. ऐसे हालात मे अब किसी न किसी को तो अपनी मंत्री की कुर्सी गँवानी ही पड़ेगी.. अब सवाल ये है कि आख़िर वो कौन हो सकता है?

योगी आदित्यनाथ तो मुख्यमंत्री हैं. केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम हैं और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी. पार्टी सुप्रीमो अमित शाह ने हाल के लखनऊ दौरे में कहा था "केशव जी को यूपी में मज़बूती से राजनीति करनी है." .. तो फिर क़ुर्बान होने वालों की लिस्ट से वे बाहर हुए. दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी 'सेफ़ ज़ोन' में हैं. अब सिर्फ़ दो नाम ही बचे.. स्वतंत्र देव सिंह परिवहन विभाग में स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री हैं. यूपी बीजेपी के महामंत्री भी हैं. मोहसिन रजा अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री हैं.. वे बीजेपी सरकार के इकलौते मुस्लिम चेहरे हैं.

अब फ़ैसला अमित शाह को करना है. किस मंत्री को वे लाइफ़ लाइन देते हैं और किसे कहीं और एडजस्ट करते हैं.