मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों के आंदोलन पर पुलिस की फायरिंग के बाद हालात बिगड़ गए हैं. मंदसौर के पार्श्वनाथ में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की थी जिसमें 5 किसानों की मौत हो गई. फायरिंग के बाद आंदोलन के उग्र होने के डर से मंदसौर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. कर्फ्यू लगने के बावजूद भी स्थिति बेकाबू है. जिसके चलते विपक्ष लगातार शिवराज सरकार पर निशाना साध रहा है. जानें क्या हैं किसानों की मांग और क्या है सरकार का पक्ष.


क्या हैं किसानों की मांग और सरकार का पक्ष?

किसानों की पहली मांग है कि कर्ज पूरी तरह माफ हो. इस पर सरकारी पक्ष है कि इस पर एमपी सरकार ने कहा है कि पूरी तरह कर्ज माफ नहीं कर सकते. वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक कह रहा है देश का घाटा बढ़ेगा, महंगाई बढ़ेगी. स्टेट बैंक कहता है कर्ज लौटाने का अनुशासन खराब होगा.

यूपी कैबिनेट ने छोटे किसानों का 1 लाख तक का कर्ज माफ करने की सिफारिश की यानी सारे किसानों को कर्जमाफी नहीं. महाराष्ट्र में 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की कर्जमाफी की तैयारी है इस पर अभी फैसला होना बाकी है.

किसानों की दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर लागत से 50% ज्यादा फसलों की कीमत दी जाए. इस पर सरकार की हालत है कि राज्य सरकारों के पास फसल खरीदने की न नीति है, न तैयारी है. मध्य प्रदेश ने पिछले साल 65 करोड़ का प्याज खरीदा, खराब व्यवस्था के चलते सड़ गया. राज्यों के पास पैसे नहीं हैं, केंद्र ने भी कहा अपने खजाने से भरो.

किसानों की तीसरी मांग है कि खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिले. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि खेती के लिए शून्य ब्याज दर पर किसानों को कर्ज दे रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार के पास फिलहाल ऐसी कोई नीति नहीं है. यूपी को अभी के कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ जुटाने भारी पड़ रहे हैं. ऐसे में बिना ब्याज कर्ज देना मुमकिन नहीं लगता.

किसानों की एक और बड़ी मांग है कि उन्हें पेंशन दी जाए. पेंशन की मांग पर किसी सरकार ने अभी तक विचार ही नहीं किया. सरकार कैसे किसानों का चयन करेगी, किसे कितनी पेंशन मिलेगी इस पर फिलहाल कोई नीति नहीं है.

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