नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के मृत्यु पर बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड और हरियाणा ने 'राजकीय शोक' घोषित किया है. कल दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनकी 'राजकीय अंत्येष्टि' की गई. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी की मृत्यु के वक्त सारे देश में सात दिन के 'राष्ट्रीय शोक' घोषित किया गया था. जानिए 'राष्ट्रीय शोक' कब घोषित किया जाता है.
किन लोगों के लिए घोषित किया जाता है 'राष्ट्रीय शोक'?
शुरुआत में 'राष्ट्रीय शोक' सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के लिए आरक्षित था, लेकिन बाद में इसमें कई बदलाव किए गए. अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में, केंद्र विशेष निर्देश जारी कर सकता है. इसके साथ ही देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के वक्त भी 'राष्ट्रीय शोक' घोषित किया जाता है.
'राष्ट्रीय शोक' और 'राजकीय अंत्येष्टि' को लेकर सिफारिश की गई है कि इसे सिर्फ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और पूर्व राष्ट्रपतियों के लिए अधिकृत किया जाना चाहिए. देश के इन गणमान्य व्यक्तिों के लिए सिफारिश की गई है कि इनकी मृत्यु होने पर ये मौजूदा प्रोटोकॉल के हकदार होंगे, जिसमें सेना द्वारा 21-बंदूक की सलामी और चार दिन के शोक की घोषणा की जाएगी. इन दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाएगा. 1997 में पांचवें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर, सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि सिर्फ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु की स्थिति में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा.
जानिए क्या होती है 'राजकीय अंत्येष्टि', किन लोगों को दिया जाता है ये सम्मान
राष्ट्रीय शोक में क्या किया जाता है?
इंडियन फ्लैग कोड के अनुसार इस वक्त राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है.
देश में और देश के बाहर स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोग में भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
उस गणमान्य व्यक्ति के पार्थिव शरीर को तिरेंगे में लपेटा जाता है.
मिलिट्री बैंड शोक गीत बजाता है और 21 बंदूकों की सलामी दी जाती है.
सरकार चाहे तो सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा कर सकती है.
राहत के लिए अदालतों के चक्कर में पी चिदंबरम, जानिए- कथित रिश्वतखोरी का पूरा मामला