नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही एक दावा विज्ञापन की शक्ल में सोशल मीडिया पर सनसनी बढ़ा रहा है.

सोशल मीडिया पर विज्ञापन की शक्ल में घूम रहा एक नोटिस दावा कर रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के हित के बारे में सोच रही हैं. दावा है कि सरकारी नौकरी के लिए सिर्फ मुसलमानों से आवेदन मंगाया गया है.

क्या लिखा है वायरल हो रहे विज्ञापन में? पद के लिए सिर्फ मुसलमान आवेदक ही आवेदन कर सकते हैं. योग्यता के कॉलम की पहली लाइन में यही लिखा है आवेदक का मुसलमान होना अनिवार्य है.

एबीपी न्यूज़ ने की वायरल दावे की पड़ताल एबीपी न्यूज़ ने सबसे पहले कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की आधिकारिक वेबसाइट पर इस विज्ञापन को ढूंढने की कोशिश की.  हमें केएमसी की वेबसाइट पर स्वास्थ्य विभाग के पद से जुड़ा एक विज्ञापन तो मिला लेकिन ये वायरल विज्ञापन से बिलकुल अलग था.

आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद विज्ञापन में मुस्लिम आवेदक वाली अनिवार्यता नहीं थी. उसकी जगह लिखा था कि आवेदन करने वाले व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है. आवेदन की तारीख 14 मार्च 2018 से लेकर 13 अप्रैल 2018 तक है.

कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का क्या कहना है? इसके बाद एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल को आगे बढ़ाया और कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के MIC यानि महापौर ऑतिन घोष से बात की. ऑतिन घोष ने बताया, ''ये विज्ञापन ठीक से नहीं निकाला गया. मुस्लिम ब्यूरियल बोर्ड के सचिव पद के लिए विज्ञापन निकाला था. जो विज्ञापन निकाला गया उसमें गलती निकली थी. ये नहीं लिखना चाहिए था कि सिर्फ मुसलमान ही आवेदन कर सकते हैं. हमने इस गलती को ठीक कर दिया है, भारतीय संविधान के आधार पर हम किसी धर्म को चिन्हित नहीं कर सकते. हमने भूल सुधार ली है.''

क्या भूल हुई कोलकाता कॉरपोरेशन से? दरअसल, केएमसी ने भर्ती का विज्ञापन 1889 के कोलकाता ब्यूरियल बोर्ड एक्ट के तहत निकाला था. लेकिन भारतीय संविधान के अनुसार नौकरी के लिए धर्म के आधार पर आवेदन नहीं मांगा जा सकता. इस गलती को सुधारते हुए केएमसी ने नया विज्ञापन जारी किया जिसमें लिखा है कि उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.

इसलिए हमारी पड़ताल में सिर्फ मुसलमानों के आवेदन का दावा करने वाला विज्ञापन सच साबित हुआ है.