नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. इन वायरल फोटो, मैसेज और वीडियो के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक चिट्ठी के जरिए किया जा रहा है.
क्या है वायरल हो रही चिट्ठी में ? सोशल मीडिया पर वायरल चिट्ठी के जरिए दावा था कि सरकार 1950 के बाद से अब तक किसी भी जमीन के रिकॉर्ड को उस जमीन के मालिक के आधार से जोड़ने की तैयारी कर रही है. जो लिंक नहीं करवाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इस चिट्ठी को बेनामी संपत्ति के खिलाफ औजार के तौर पर पेश किया जा रहा है.
क्या लिखा है वायरल चिट्ठी में ? सरकारी चिट्ठी की शक्ल में इस कागज पर ऊपर भारत सरकार लिखा था. विषय में लिखा था- कि ये 1950 से अब तक के जमीन रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन और उनके मालिकों के आधार से जोड़ने के बारे में है.
इसके आगे चिट्ठी में लिखा था, ''सभी राज्यों को ये निर्दश दिया जाता है कि 14 अगस्त 2017 से पहले देश भर में 1950 से अब तक की सभी जमीनों के रिकॉर्ड को जमीन के मालिक के आधार से जोड़ा जाए. जिस संपत्ति को आधार से नहीं जोड़ा जाएगा उसके खिलाफ बेनामी ट्रांजैक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.''
चिट्ठी भारत सरकार के सेक्रेटरी शिव नाथ सिंह के नाम और हस्ताक्षर के साथ पेश की गई थी. चिट्ठी जारी होने की तारीख 15 जून लिखी थी. हस्ताक्षर के ठीक नीचे उनका नंबर भी लिखा था.
क्या है वायरल हो रही चिट्ठी का सच? चिट्ठी का सच पता लगाने के लिए एबीपी न्यूज ने चिट्ठी में लिखे फोन नंबर पर फोन किया. फोन पर जब हमारी बात सचिव शिवनाथ सिंह से हुई तो उन्होंने ऐसी किसी चिट्ठी को जारी करने से साफ इंकार कर दिया. यानि सरकार की तरफ से ऐसी कोई चिट्ठी जारी ही नहीं हुई है
कुछ देर बाद पीआईबी की तरफ से एक ट्वीट किया गया और चिट्ठी को फर्जी बताया गया. चिट्ठी को लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई है. हमारी पड़ताल में प्रॉपर्टी पर सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक का दावा करने वाली चिट्ठी झूठी साबित हुई है.