पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसाली अपने एक बयान के चलते सुर्खियों में आ गए हैं. अपने एक बयान में अंसारी ने राष्ट्रवाद को कोरोना से भी बड़ी बीमारी बताया है. शशि थरूर के किताब के विमोचन के दौरान एक कार्यक्रम में बोलते हुए हामिद अंसारी ने कहा कि कोरोना के आने से पहले देश में 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' जैसी महामारियां पहले से ही थीं. ऐसा पहली बार नहीं जब पूर्व उप राष्ट्रपति अपने बयान की वजह से चर्चा में आए हों. बल्कि इससे पहले भी मौजूदगी उनके बयानों के जरिए सुर्खियों में रही है.

योग दिवस में शामिल नहीं थे

21 जून 2015 को पहले विश्व योग दिवस की मेजबानी भारत कर रहा था. पहले योग दिवस पर हामिद अंसारी ने हिस्‍सा नहीं लिया. बीजेपी के तत्‍कालीन महासचिव राम माधव ने इसपर सवाल उठाए थे.

मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास-असुरक्षा की भावना

10 अगस्त 2017 को यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि मुस्लिम समुदाय में एक तरह की शंका है और जिस तरह के बयान उन लोगों के खिलाफ दिए जा रहे हैं, उससे वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इस पर अंसारी ने कहा, ''हां, यह एक सही आकलन है, जो मैं देश के अलग-अलग हलकों से सुनता हूं. मैंने बेंगलूर में यही बात सुनी. मैंने देश के अन्य हिस्सों में भी यह बात सुनी. मैं इस बारे में उत्तर भारत में ज्यादा सुनता हूं. बेचैनी का अहसास है और असुरक्षा की भावना घर कर रही है.''

PFI के कार्यक्रम में शामिल हुए

23 सितंबर 2017 को कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में शिरकत की जिसके चलते उनकी आलोचना हुई, पीएफआई पर तब 'लव जिहाद' में शामिल होने के आरोप थे.

जिन्ना पोर्ट्रेट विवाद

2 मई 2018 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्‍मद अली जिन्‍ना का पोर्ट्रेट लगाने पर विवाद हुआ था. जिसके बाद अंसारी ने एएमयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष को पत्र लिखकर अपना समर्थन दिया था.

शरिया अदालतों के पक्ष में बयान

12 जुलाई 2018 को लोग सामाजिक प्रथा के साथ कानूनी प्रणाली का घालमेल कर रहे हैं. कानूनी प्रणाली है, लेकिन हमारा कानून यह भी मानता है कि हर समुदाय के पास उसके अपने नियम हो सकते हैं. भारत में पर्सनल लॉ चार विषयों शादी, तलाक, विरासत और गोद लेना को अपने दायरे में रखता है. भारत में हर समुदाय को हमारे कानून के अनुसार चलने का अधिकार है.