नई दिल्ली: बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है. अगर सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाएं मिले तो वह देश निर्माण में बड़े होकर अपना यागदान दे सकते हैं. यूनिसेफ दुनिया भर में बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और उनकी उचित देख-रेख के लिए काम करता है. हमारे देश में भी बच्चों को जन्म लेते ही कुछ राजनीतिक, समाजिक और आर्थिक, शैक्षणिक अधिकार प्राप्त हैं. आज हम आपको बच्चों के उन्हीं अधिकारों के बारे में बाताने जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिए बच्चों के ये सभी अधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी महासभा की 20 नवंबर, 1959 की बैठक में बच्‍चों के अधिकारों का एक घोषणा-पत्र पर जारी किया था. लम्‍बे समय के बाद 20 नवंबर, 1989 को संघ में शामिल देशों ने इसपर अपनी पूरी सहमति दी. इस घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में भारत भी शामिल है. इस घोषणा पत्र में दुनिया भर के बच्‍चों के लिए कुछ बुनियादी अधिकारों जिक्र है. उनमें से कुछ महत्वपूर्ण अधिकार निम्नलिखित है.
  1. प्रत्येक बच्चे को जीने का अधिकार है और देखभाल का अधिकार है.
  2. माना जाता है कि बच्चे का विकास परिवार के साथ ही हो पाता है इसलिए परिवार के साथ रहने का उसे अधिकार है.
  3. उसे अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर शिक्षा का अधिकार है.
  4. हर बच्चे को यह अधिकार प्राप्त है कि वह आराम करे, खेले और मनोरंजन प्राप्त करें
  5. हर बच्चे को आर्थिक और शारीरिक शोषण से बचने का अधिकार है.
  6. युद्ध, बाढ़, सूखा, महामारी, भूकंप जैसे समय में उन्हें सबसे पहले राहत पाने का अधिकार है.
भारतीय संविधान में बच्चों को मिला है यह अधिकार
  1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (3) में राज्य को बच्चों के सशक्तिकरण का अधिकार देता है.
  2. धारा 24 में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी फैक्टरी या खदान में काम करने पर रोक है
  3. धारा 39 F के अनुसार बच्चों को स्वतंत्र और सम्मानजनक तरीके से विकास के अवसर दिए जाएंगे. उनको बचपन से युवावस्था तक नैतिक-भौतिक दुरुपयोग से बचाया जाएगा.
  4. अनुच्छेद 21(A) के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा दी जाएगी.
बच्चो को कुछ अन्य अधिकार
  1. सभी बच्चों के लिए बेहतर और जरूरी मेडिकल सुविधा (टीके आदि भी), अपंगता है तो विशेष सुविधा, साफ पानी, पौष्टिक आहार, स्वस्थ रहने के लिए साफ वातावरण आवश्यक है.
  2. सभी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां उपलब्ध सीटों के संख्या में से 25 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों के लिए रिजर्व रखना होता है.
  3. अगर बच्चों से किसी भी तरह का अपराध होता है तो उनसे पूछताछ के दौरान किसी भी तरह की सख्ती नहीं की जा सकती है.
  4. हर बच्चे को नशीली दवाओं, मादक पदार्थों के उपयोग से बचाए जाने का अधिकार है. राज्य बच्चे को इन दवाओं, नशीले पदार्थों के बनाने बेचने से बचायेगा.
  5. किसी बच्चे को बेचना, बहला फ़ुसलाकर अपहरण करना, या जबरन काम करवाना कानूनी अपराध है. राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को इनसे बचायगा.
बच्चों के अधिकारों का हो हनन तो कहां करे कम्प्लेन
  1. बच्चों के अधिकारों का हनन हो तो आप राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष को लिखित में शिकायत कर सकते हैं. आप उन्हें इस ई-मेल: complaints.ncpcr@gmail.com के पते पर लिख सकते हैं.
बाल श्रम कानून 1986 क्या है इस कानून के मुताबिक 14 साल के कम उम्र के बच्चों को किसी ऐसे काम में नहीं लगाया जा सकता जो उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक न हो. वहीं 15 से 18 साल के बच्चे किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किए जा सकते हैं जब उनके पास फिटनेस प्रमाण पत्र हो. उनके काम करने का समय इस कानून के मुताबिक केवल साढ़े चार घंटे हो सकता है. बच्चों के रात में काम करने पर यह कानून रोक लगाती है.