खिचड़ी का इतिहास भारतीय खानपान में बेहद पुराना है, लेकिन मुगल काल ने इसे और भी राजसी रूप दिया. 1590 ईस्वी में अकबर के दरबार के विद्वान वज़ीर अबुल फज़ल ने अपनी प्रसिद्ध किताब आइन-ए-अकबरी में खिचड़ी का जिक्र किया है. किताब में 7 प्रकार की खिचड़ी का उल्लेख मिलता है.

Continues below advertisement

उस दौर की खिचड़ी में मुख्य सामग्री थी, चावल, मूंग की दाल, घी और हल्के मसाले. खास बात यह है कि बादशाह अकबर की रसोई में इस्तेमाल होने वाला घी हरियाणा के हिसार से मंगाया जाता था. यह दर्शाता है कि साधारण दिखने वाली खिचड़ी भी दरबारी स्तर पर सलीके से तैयार की जाती थी. इसके अलावा जब भी अकबर को मांस खाने की इच्छा नहीं होती थी तो उन्हें खिचड़ी ही परोसी जाती थी.

जहांगीर और लजीज खिचड़ी का किस्साजहांगीर अपनी नफासत और विदेशी व्यंजनों के शौक के लिए जाने जाते थे. मटन, मेवे और अनगिनत लजीज पकवानों के बीच भी, जब उन्हें आराम चाहिए होता तो वे कहते थे कि ये सब हटा दो, आज मैं खिचड़ी खाऊंगा. उनकी पसंदीदा डिश थी लजीज खिचड़ी, जो गुजराती शैली की खिचड़ी थी. इसमें सूखे मेवे और सुगंधित मसालों का इस्तेमाल होता था, जो इसे राजसी स्तर का व्यंजन बना देता था. यह कहानी बताती है कि खिचड़ी सिर्फ़ साधारण भोजन नहीं, बल्कि शाही आराम का प्रतीक भी थी.

Continues below advertisement

औरंगज़ेब और आलमगीरी खिचड़ीदिलचस्प बात यह है कि औरंगजेब, जिन्हें खान-पान का बहुत शौकीन नहीं माना जाता था, खिचड़ी को बेहद पसंद करते थे. उनकी खास डिश थी आलमगीरी खिचड़ी, जिसमें मछली और उबले अंडों का इस्तेमाल होता था. यही आलमगीरी खिचड़ी समय के साथ दुनिया के दूसरे हिस्सों में चली गई और ब्रिटेन में जाकर केडगेरी (Kedgeree) बन गई. यह डिश आज भी ब्रिटिश खानपान का हिस्सा है और अंग्रेजी नाश्ते में इसे पसंद किया जाता है.

खिचड़ी की शाही कहानीखिचड़ी की यात्रा हमें यह दिखाती है कि यह सिर्फ़ बीमार पड़ने पर खाने वाली डिश नहीं थी, बल्कि अकबर की रसोई में पसंदीदा व्यंजन के रूप में मौजूद रही. मुगल बादशाह जहांगीर के लिए यह आराम और लग्जरी का पर्याय बनी. औरंगज़ेब की आलमगीरी खिचड़ी ने अंतरराष्ट्रीय पहचान पाई. इससे यह साबित होता है कि खिचड़ी भारत में हमेशा से सिर्फ़ आम आदमी का भोजन नहीं, बल्कि राजसी स्वाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हिस्सा भी रही है.

ये भी पढ़ें: दशकों की तानाशाही के बाद सीरिया में नई शुरुआत, 5 अक्टूबर को होंगे संसदीय चुनाव, जानिए अहम बातें