सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया था जिस पर केरल के राज्यपाल ने कहा है कि इस प्रस्ताव की कोई कानून या संवैधानिक वैधता नहीं है. उन्होंने कहा कि नागरिकता केंद्र का विषय है और जो प्रस्ताव पास किया गया है उसका कोई महत्व नहीं है.

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आरफ मोहम्मद खान पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में हैं. हाल ही में इतिहासकार इरफान हबीब ने भाषण के दौरान उन्हें रोकने की कोशिश की थी जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी. इससे पहले भी खान अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं.

आपको बता दें कि केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसका वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस ने समर्थन किया था. केरल की 140 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी का एक सदस्य है जिसने इस प्रस्ताव का विरोध किया.

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केरल के सीएम पी विजयन पहले भी कह चुके हैं कि सीएए को वे अपने प्रदेश में लागू होने नहीं देंगे. हालांकि कानून विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य सरकारों सीएए पर अधिक कुछ नहीं कर सकती हैं.

आपको बता दें कि सरकार जहां सीएए के लिए बेहद प्रतिबद्ध है वहीं विपक्षी दल इसे संविधान के मूल चरित्र के खिलाफ बता रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में इस बिल का भारी विरोध हो रहा है और देश के कुछ राज्य इसे लागू करने से मना कर चुके हैं.

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केरल के सीएम पिनरई विजयन ने भी इस पर अपना रुख साफ करते हुए ट्वीट किया था कि उनका राज्य इसे नहीं अपनाएगा. उन्होंने कहा कि कैब भारत के सेकुलर और लोकतांत्रिक चरित्र पर हमला है. धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान की अवमानना है. ये हमारे देश को पीछे धकेलेगा.

जानकारी के मुताबिक नागरिकता के लिए जिलाधिकारी को अर्जी दी जाती है जो अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में 90 दिन का अधिकतम वक्त लग सकता है. अगर राज्य सरकार अर्जी को आगे नहीं भेजती तो याचिकाकर्ता सीधे केंद्र सरकार के पास पहुंच सकता है. अब ऐसे में देखना ये होगा कि राज्य सरकारें कैब का कितना विरोध कर पाएंगी.