EVM Machiene: केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने कासरगोड में मॉक पोल के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अतिरिक्त वोट मिलने के विपक्ष के आरोपों पर अपनी सफाई पेश की है. इस दौरान केरल के सीईओ संजय कौल ने इसे 'प्रक्रियात्मक गलती' बताया. कई लोगों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर कीं. कौल ने कहा कि कासरगोड में जो हुआ वह मूल रूप से एक प्रक्रियात्मक गलती है.


केरल के सीईओ संजय कौल का कहना है कि कासरगोड में जो हुआ, उसका कमीशन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कर रही है. जिसकी ये मशीनें हैं. वे इस प्रक्रिया को बहुत तेजी से पूरा करना चाहते थे. जब वे प्रिंट टेस्ट बटन का टेस्ट करते हैं तो सबसे पहले उम्मीदवारों का नाम आता है. वे यह सोचकर मशीन बंद कर देते हैं कि सब कुछ ठीक है.


कैसे काम करता है मॉक पोल


सीईओ संजय कौल ने बताया कि मॉक पोल चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किया जाता है और उम्मीदवारों या उनके द्वारा नियुक्त एजेंटों के सामने होता है. ऐसे में खबर फैलाई गई कि दबाओ कुछ, निकलेगा कुछ और सबको निश्चिंत रहना है, वोटिंग मशीनें सुरक्षित हैं. कुछ नहीं होने वाला है. जो भी बटन दबाओगे, वही मशीन में रजिस्टर हो जाएगा.


'EVM गड़बड़ी की खबरें सरासर गलत'


बीते गुरुवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने मॉक पोल के दौरान मिली शिकायतों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक समाचार रिपोर्ट का हवाला दिया था. इस दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की शीर्ष अदालत की पीठ ने चुनाव आयोग से इस पर गौर करने को कहा था, जिसके बाद वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "ये खबरें सरासर गलत हैं. हमने जिलाधिकारी से आरोपों की पड़ताल की है और यह बात सामने आई है कि ये गलत हैं. हम कोर्ट को एक डिटेल रिपोर्ट सौंपेंगे."


इस दौरान केरल के सीईओ संजय कौल ने कहा कि जब ईवीएम को चुनाव के लिए तैयार किया जाता है तो मशीनों को चालू करने को कहा जाता है, जहां उम्मीदवारों के नाम डाले जाते हैं और एक मॉक पोल आयोजित किया जाता है.


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