मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कोरोना संक्रमण का केन्द्र बनी हुई है. शहरों के मामले में देश में सबसे ज्यादा कोरोना से मौत मुंबई में ही हुई हैं. मुंबई के जाने माने सरकारी अस्पताल KEM में पिछले 36 दिनों में 460 लोगों की मौत होने से मरीजों के परिजनों में दहशत है. मरीजों के परिजन इन मौतों के लिए अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी का आरोप लगा रहे हैं.


पिछले 20 दिनों में हुईं 221 मौतें


इस अस्पताल में पिछले 20 दिनों में 221 लोगो की मौत हुई जबकि 15 मई से अब तक कुल 460 मौतें इसी अस्पताल में हुई हैं. इतने कम दिनों में सबसे ज्यादा मौत इसी अस्पताल में होने की वजह से ये आरोप लग रहे है की ऑक्सिजन की कमी की वजह से मौतें हो रही है. यहां 1 मई से लेकर 31 मई के बीच औसतन 15 मरीज की प्रतिदिन मौत हुई है, जिसके मुताबिक कुल 240 लोगों की मौत दर्ज की गई जबकी एक जून से 20 जून तक 221 मौत दर्ज की गई. यानी कि यहां औसतन 11 मरीज रोज़ मौत के मुंह में जा रहे हैं. खुद इस बात की पुष्टि KEM अस्पताल के डीन हेमंत देशमुख ने की है. उनके मुताबिक कोरोना अपने पीक पर है और 15 मई से 20 जून तक जो मौतें हुईं वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं.


क्या ऑक्सीजन की कमी है मरीजों की मौत का कारण


क्या इलाज के दौरान ऑक्सिजन की कमी ही बढ़ती मौत का कारण है? जब हमने यह सवाल अस्पताल के डीन हेमंत देशमुख से पूछा तो डीन ने बताया की 'अस्पताल में 11 हजार लीटर ऑक्सिजन की व्यवस्था है. साथ ही टॉप-अप सिस्टम भी अपनाया जा रहा है. मतलब जब 20 प्रतिशत ऑक्सिजन शेष रह जाता है तो उसे तुरंत भर दिया जाता है.


डीन का कहना है कि मौत हुई है इस बात से तो कोई इनकार नहीं कर रहा, लेकिन मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी है, ऐसा कहना गलत है. क्योंकि कई बार मरीज अस्पताल में देरी से आते हैं, जब तक भर्ती होते हैं तब तक पूरी स्थिति बिगड़ जाती है. यही नहीं भर्ती होने वाले मरीजो में उनकी पूर्व मेडिकल हिस्ट्री बेहद मायने रखती है.


KEM अस्पताल आने वाले मरीजो के परिजनों में भी दहशत है. मरीजों के परिजन के मुताबिक, लगातार KEM अस्पताल के बारे में खबरें वायरल हो रही हैं, इसलिए वो काफ़ी डरे हुए हैं. अविनाश कुमार के ससुर 6 मई को भर्ती हुए लेकिन अस्पताल में क्या हो रहा है, अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई जानकारी नही मिल रही है. उनका कहना है की पहले दिन ऑक्सीजन दिया गया, लेकिन बाद में कैसे ट्रीटमेंट हो रहा है इसकी कोई जानकारी नही है. बार बार फोन करने पर भी कोई सूचना नहीं दी जा रही है. वो रोज अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है ऐसे में वो बेहद डरे हुए हैं.


अस्पताल भले ही ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौत से इनकार करे, लेकिन मौत से इनकार नहीं कर सकता. लगातार बढ़ते आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं और चिंता का कारण बना हुआ है.


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