Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में कश्मीर घाटी नए चुनावी रिकॉर्ड बना रही है, जबकि अलगाववादी राजनीति और आतंकी हिंसा का ग्राफ नीचे की ओर है. संसदीय चुनाव के चौथे और पांचवें चरण के दौरान श्रीनगर और बारामूला लोकसभा क्षेत्रों में वोटर्स के भारी मतदान के बाद अनंतनाग-राजौरी सीट पर भारी वोटिंग की उम्मीद है, जहां 25 मई को मतदान होना है.


जहां श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र में 39 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. वहीं, उत्तरी कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक 59 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. चुनाव आयोग के अंतिम मूल्यांकन के बाद इसके 60 फीसदी के आंकड़े को पार करने की संभावना है. भारी मतदान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बारामूला के लोगों को बधाई देने के लिए एक्स पर जाने के लिए प्रेरित किया.


पीएम मोदी ने की तारीफ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के एक्स पर एक पोस्ट के जवाब में लिखा, ''बारामूला की मेरी बहनों और भाइयों को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए बधाई. इस तरह की सक्रिय भागीदारी एक महान प्रवृत्ति है. '' बता दें कि मनोज सिन्हा ने उच्च मतदान प्रतिशत को बहुत उत्साहजनक बताया था.


संसदीय चुनावों में इस भारी मतदान को बुलेट की राजनीति पर मतपत्र की जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिसने तीन दशकों से अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया था.


जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के पोल ने 20 मई को बारामूला में ऐतिहासिक मतदान के बाद कहा, "यह उल्लेखनीय भागीदारी इन जिलों में शांति और नागरिक जुड़ाव के एक नए युग का प्रतीक है और भारी मतदान का असली श्रेय श्रीनगर और बारामूला की स्थानीय आबादी को जाता है जो रिकॉर्ड संख्या में मतदान करने आए."


बढ़े मतदान प्रतिशत की क्या है वजह? 


स्थानीय राजनीतिक दल चाहे वह नेशनल कॉन्फ्रेंस हो या पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी या कोई अन्य क्षेत्रीय दल हों, इसका कारण जनता के बीच बढ़ते असंतोष के साथ-साथ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी को मानते हैं.


वहीं बीजेपी नेता इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत और जनकेंद्रित नीतियों को देते हैं. बीजेपी इसे साबित करने के लिए जम्मू-कश्मीर की सभी 90 सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी. बीजेपी नेता और श्रीनगर के जिला प्रमुख अशोक भट्ट के अनुसार पाकिस्तान समर्थक आतंकी कितनी भी कोशिश करें, लोग चुनाव में हिस्सा लेंगे. 


आतंकी हमलों में भी इजाफा


हालांकि मतदाताओं के भारी मतदान के बीच विशेषकर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और कुलगाम जिलों में आतंकवादी हिंसा में भी वृद्धि देखी गई है. 18 मई को आतंकवादियों ने दो स्थानों पर हमला कर बीजेपी से जुड़े सरपंच ऐजाज शेख की हत्या कर दी और दो पर्यटकों को घायल कर दिया. वहीं, बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया.


अलगाववादियों का हृदय परिवर्तन


कई अलगाववादियों और उग्रवादियों का हृदय परिवर्तन भी हुआ है. हुर्रियत से संबद्ध जमात-ए-इस्लामी ने भी अब चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि सक्रिय आतंकवादियों के परिवार के सदस्य अपने आतंकवादी भाइयों से भी आत्मसमर्पण करने और मतदान प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए कह रहे हैं. 


बारामूला में वोट डालने वालों में जमात-इ-इस्लामी के महासचिव रहे गुलाम क़ादिर लोन के अनुसार मतदान लोगो का हक़ है और सब को वोट डालने का हक़ है. उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल करना चाहिए. गौरतलब है कि यह वही जमात है, जो कल तक जम्मू कश्मीर में चुनावों के बहिष्कार की वकालत करती आयी है. 


वही सोपोर में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक सक्रिय आतंकवादी के भाई ने बारामूला लोकसभा क्षेत्र में अपना वोट डालने के बाद शांति के हित में उससे आत्मसमर्पण करने की अपील की. रउफ अहमद लोन, उमर लोन का भाई है, जो एक सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी है और आतंकवाद से संबंधित कई मामलों में वांछित था.


लोन ने कहा, “मतदान मेरा अधिकार है, इसलिए मैंने अपना वोट डाला. मैं सभी से अपील करता हूं कि वे अपना वोट डालें, क्योंकि उसके बाद विकासात्मक कार्य होंगे. मतदान केंद्रों पर आएं और अपना वोट बर्बाद न करें.”


सबकी नजर अब विधानसभा चुनाव पर


इस बीच जम्मू-कश्मीर में लोग हिंसा की धमकियों के बावजूद अभी भी मतदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सभी स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनके रोजगार, विकास और रोजमर्रा के मामलों जैसे मुद्दों को उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संभाला जाए. फिलहाल अभी इंतजार हो रहा है विधानसभा चुनावों का जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सितंबर महीने से पहले करवाए जाने हैं.