कश्मीर: आतंकग्रस्त कश्मीर घाटी में श्रीनगर से सटे बडगाम जिले के चदूरा में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को जिंदा गिरफ्तार किया है. सेना की राष्ट्रीय राईफल्स (आरआर) के सैन्य अफसरों ने आतंकी को हालांकि घेर लिया था, लेकिन जब उसे सरेंडर करने का अवसर दिया तो उसने अपने चाचा की मौजूदगी में समर्पण कर दिया. अपने भतीजे को सही सलामत पाकर चाचा ने एनकाउंटर स्थल पर मौजूद पुलिस और सैन्य अफसरों को तहेदिल से शुक्रिया करते हुए उनके पैर छू लिए.
श्रीनगर स्थित सेना की चिनार कोर के मुताबिक, पकड़े गए आतंकी की पहचान जहांगीर अहमद भट्ट के तौर पर हुई है, जो 13 अक्टूबर से चदूरा से लापता था. गायब होने से पहले वो चदूरा में एक दुकान चलाता था. सरेंडर करने के दौरान उसके पास से एक एके-47 भी बरामद हुई है. माना जा रहा है कि ये एके-47 उन दो राईफल्स में से एक है, जो 13 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक एसपीओ एसओजी कैंप से लेकर फरार हो गया था.
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को एक सूचना के आधार पर सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक साझा ऑपरेशन में जहांगीर को बडगाम में एक सेब के बागान में घेर लिया. अपनी नई सरेंडर पॉलिसी के तहत आरआर (राष्ट्रीय राईफल्स) के एक अधिकारी ने जहांगीर को सरेंडर करने का अवसर दिया तो कुछ ही देर में वो तैयार हो गया. इस दौरान सेना ने जहांगीर के चाचा को भी सेब के बागान में बुला लिया था.
जहांगीर के सरेंडर करते ही उसके चाचा ने उसे गले लगा लिया और वहां मौजूद सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के अधिकारियों को तहेदिल से धन्यवाद देते हुए एक अफसर के पांव भी छू लिए. इस दौरान जहांगीर बड़े आराम से एक सेब खाते हुए भी दिखा. ये सारा मंजर मोबाइल वीडियो में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
चिनार कोर के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, सेना कश्मीर घाटी में अपनी सरेंडर पॉलिसी को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी कर रही है. इसके तहत सरेंडर करने वाले आतंकियों के लिए पुर्नवास योजना बनाई जा रही है. क्योंकि सरेंडर करने वाले आतंकी बड़ी जल्दी आतंकी संगठनों की आंखों में किरकरी बन जाते हैं और उनकी जान भी खतरे में पड़ जाती है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ मिलकर सेना एक खास प्लान बनाने जा रही है. लेकिन सूत्रों ने साफ किया कि ये सरेंडर पॉलिसी कश्मीर के उन युवाओं के लिए है, जो हाल फिलहाल में किसी आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं. पाकिस्तान से आए आतंकियों के लिए ये पॉलिसी नहीं है.
आपको बता दें कि आतंकी जहांगीर ने जब सरेंडर किया तो उस वक्त सेना का एक अधिकारी भी कहते सुना गया कि वे भी “यहां (कश्मीर घाटी) लाश बिछाकर खुश नहीं होते हैं.”
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