Karnatka: पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर के बीच कर्नाटक के शिवमोगा में फिर से एक पुरानी बीमारी का पता चला है. शिवमोगा के तीर्थहल्ली के कुडिगे गांव में 57 वर्षीय एक महिला को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (Kyasanur Forest Disease) हो गया है. क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज यानी केएफडी (KFD) का ये मामला 2019 के बाद पहली बार सामने आया है. महिला कुछ दिनों से बुखार से पीड़ित थी जिसके बाद उसके ब्लड के नमूने के जांच के लिए भेजा गया जिसमें पता चला कि ये महिला केएफडी से पीड़ित है. इसे मंकी फीवर भी कहा जाता है.
शिवमोग्गा में KFD से पीड़ित मिली महिला
शिवमोगा (Shivamogga) में पुरानी बीमारी के सिर उठाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की भी चिंता बढ़ गई है. शिवमोगा के स्वास्थ्य विभाग ने केएफडी (KFD) के लिए उसके नमूनों का परीक्षण करने का फैसला किया क्योंकि घने जंगलों के बीच बसा कुडिगे उस क्षेत्र में स्थित है जहां यह बीमारी फैली हुई है. शुक्रवार को शाम को मणिपाल रेफर करने से पहले महिला को पहले तीर्थहल्ली तालुक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शिवमोग्गा जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश एस उरागिहल्ली (Dr Rajesh S Uragihalli) ने बताया कि महिला में KFD के हल्के लक्षण हैं. चिंता की कोई बात नहीं.
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कैसे फैलता है KFD
KFD की वजह बनने वाला वायरस फ्लेववायरस जीनस (Flavivirus genus) का एक मेंबर है. यह संक्रमित टिक्स (Tics) जो एक प्रकार का कीड़ा है. जिसे पिस्सू भी कहा जाता है. मानव में यह रोग संक्रामक टिक के काटने या संक्रमित बंदर या बीमारी से मरे हुए बंदर के सम्पर्क में आने से होती है. इस बीमारी को आमतौर पर मंकी फीवर (Monkey Fever) भी कहा जाता है. फिलहाल केएफडी (KFD) के लिए परीक्षण किए गए 50 नमूनों में से एक की पुष्टि हो गई है. महिला ने बीमारी के खिलाफ एक टीका लिया था.
दिसंबर 2019 में सागर तालुक में अरलागोडु KFD से प्रभावित था. इस दौरान यहां 22 लोगों की जान चली गई थी. शिवमोगा में पिछले दो साल में इस बीमारी की वजह से कुल 26 लोगों ने दम तोड़ा. हालांकि कोविड -19 के प्रकोप के बीच KFD का ग्राफ शून्य हो गया. इस बीच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की एक टीम ने अरलागोडु गांव का दौरा किया.
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