Five Guarantees of Congress Govt in Karnataka: कर्नाटक में बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाकर पूर्ण बहुमत से कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने जा रही है. चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पांच 'गारंटियों' को लागू करने का वादा किया था. सिद्धारमैया शनिवार (20 मई) को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं. कार्यभार संभालने के बाद अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि क्या कांग्रेस पांच गारंटियों को पूरी करेगी.


विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं ने मतदाताओं को बार-बार आश्वासन दिया कि सत्ता में आने के पहले दिन पहली कैबिनेट बैठक में इन पांच गारंटी को मंजूरी दी जाएगी. राजनीतिक विश्लेषकों मानना है कि 'गारंटियों' ने मतदाताओं पर असर छोड़ा और पार्टी की शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने 66 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया. वहीं, जेडीएस के खाते में केवल 19 सीटें ही आईं. 


बीजेपी नेताओं के आरोप 
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुछ बीजेपी के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया है कि इन गारंटी का कार्यान्वयन राज्य को वित्तीय दिवालियापन में धकेल देगा और यह भी दावा किया है कि कांग्रेस अपने चुनाव-पूर्व वादों का पूरी तरह से सम्मान नहीं कर पाएगी. कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि पांच 'गारंटियों' को लागू करने से सरकारी खजाने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है. उधर, बीजेपी और जेडीएस के नेताओं ने भी कहा है कि वे उत्सुकता से देख रहे हैं कि क्या कांग्रेस अपने वादों का पूरा सम्मान करेगी.


क्या हैं कांग्रेस की पांच गारंटी? 
कांग्रेस ने कर्नाटक में सत्ता में आने के पहले दिन ‘पांच गारंटी’ लागू करने का वादा किया है. इन वादों में सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपये मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार (अन्न भाग्य) के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल, बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपये (युवा निधि) और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल हैं.


पहली बैठक में लागू करेंगे सभी गारंटी योजना
शुक्रवार (19 मई) को दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक में हम अपनी सभी गारंटी योजनाओं को लागू करने जा रहे हैं. हम अपने वादे निभाएंगे. आपको इस महान ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनना चाहिए. क्या कोई शर्तें जुड़ी होंगी? इसके जवाब में डीके ने कहा कि वह अभी नहीं बोलेंगे, लेकिन फैसला लागू होने के बाद लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया की गारंटी नहीं है. यह कांग्रेस पार्टी की गारंटी है. हम वही करेंगे जो हमने कहा है.


पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि हम एक जिम्मेदार पार्टी हैं. जिम्मेदार कांग्रेस नेताओं ने उनके निहितार्थों को पूरी तरह से जानते हुए गारंटियों को विकसित किया है. हम उन्हें लागू करने की स्थिति में होंगे.


सीमित हैं कांग्रेस की योजनाएं
कांग्रेस की मेनिफेस्टो ड्राफ्टिंग कमेटी के वाइस चेयरमैन प्रोफेसर केई राधाकृष्ण के मुताबिक, जिस राज्य का सालाना बजट करीब तीन लाख करोड़ रुपये है, वहां इन योजनाओं पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च नहीं होगा. उन्होंने कहा कि परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये देने वाली 'गृह लक्ष्मी' योजना केवल बीपीएल परिवारों के लिए लागू होगी. ये सभी के लिए नहीं है. वहीं, कुछ कांग्रेसी नेताओं के अनुसार, 'गृह ज्योति', 'युवा निधि' और 'शक्ति' योजनाएं भी बीपीएल परिवारों तक ही सीमित रहने की संभावना है.


राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बोझ
एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि अगर इन योजनाओं को बिना किसी शर्त के वास्तविक रूप में लागू किया जाता है, तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर शर्तें लागू भी होती हैं, तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा.


शहर के नागरिक निकाय 'बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके' का संचालन करने वाले एक रिटायर्ड नौकरशाह ने कहा कि इन योजनाओं को तभी लागू किया जा सकता है, जब कड़ाई से बचत के उपाय हों. साथ ही, अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण हो, लीकेज रोकने के उपाय हों, फर्जी बिलों पर अंकुश हो, हर सार्वजनिक कार्य का पूर्व-लेखापरीक्षा हो और '40 प्रतिशत कमीशन' पर रोक हो. उन्होंने कहा कि इसके अलावा लोकायुक्त को गलत कामों में शामिल अधिकारियों पर छापा मारने के लिए और अधिक पॉवर दी जानी चाहिए.


लोगों को मिले कौशल और प्रशिक्षण
सामाजिक कार्यकर्ता कात्यायिनी चामराज ने कहा कि मुफ्त में पैसा देने के बजाय लोगों को कौशल और प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाया जाना चाहिए. उनके अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू करने वाली कांग्रेस शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू कर सकती है और परिवारों की महिला मुखियाओं के साथ-साथ बेरोजगार स्नातकों और डिप्लोमा धारकों को पैसे का भुगतान कर सकती है.


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