Bajrang Dal Row: कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद राज्य में दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की अटकलों के बीच पार्टी के सीनियर नेता जयराम रमेश ने रविवार (14 मई) को इस मुद्दे को लेकर बयान दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की युवा शाखा नफरत और हिंसा की राजनीति फैलाने में यकीन करती है.


कांग्रेस नेता ने रमेश ने इसे भगवान हनुमान यानी बजरंगबली के साथ न जोड़ने का अनुरोध किया. उन्होंने आगे कहा, "बजरंग दल अलग है और बजरंग बली अलग है. बजरंग दल नफरत और हिंसा की राजनीति फैलाने में विश्वास रखता है." उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि कोई भी संगठन जो कानून तोड़ता है, धार्मिक नफरत फैलाता है, धार्मिक कट्टरता फैलाता है, सांप्रदायिक हिंसा फैलाता है, उससे कानून और संविधान के अनुसार निपटा जाएगा.”


'गोवा में श्री राम सेना पर प्रतिबंध किसने लगाया'


कांग्रेस के घोषणापत्र का बचाव करते हुए, जयराम रमेश ने बीजेपी के नेतृत्व वाली गोवा सरकार के श्रीराम सेना पर प्रतिबंध लगाने की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा, “गोवा में श्री राम सेना पर प्रतिबंध किसने लगाया? 20 अगस्त 2014 को मुख्यमंत्री कौन थे? मनोहर पर्रिकर? प्रधानमंत्री कौन थे? मिस्टर नरेंद्र मोदी. क्या उन्होंने कहा कि भगवान राम का अपमान किया गया था? यह प्रतिबंध 2018 और 2020 में भी जारी रहा."


श्री राम सेना, जिसे श्री राम सेना के नाम से भी जाना जाता है, बजरंग दल के पूर्व सदस्य प्रमोद मुथालिक की स्थापित किया एक दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है. ये समूह हिंदू संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के संरक्षण की दिशा में काम करने का दावा करता है, लेकिन इसके आलोचकों का तर्क है कि समूह की गतिविधियां अक्सर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं, असहिष्णुता को बढ़ावा देती हैं और हिंसा को उकसाती हैं.


श्री राम सेना ने 2009 में राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा था. तब इसके सदस्यों ने कर्नाटक के एक शहर मैंगलोर में एक पब पर हमला किया. इस संगठन ने पब में "अनैतिक गतिविधियों" के होने का अनुमान लगाया था. इसी के खिलाफ संगठन के सदस्यों ने वहां हमला बोला था.  इस घटना पर बड़ा विवाद हुआ और संगठन को खासी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी. तब इस संगठन की सतर्कता और नैतिक पुलिसिंग रणनीति की आलोचना हुई थी. 


क्या कहा था कांग्रेस ने घोषणापत्र में ?


कर्नाटक में चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में "जाति या धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत" फैलाने वाले संगठनों पर "प्रतिबंध लगाने सहित कानून के अनुसार निर्णायक कार्रवाई" करने का वादा किया था. घोषणा पत्र में कहा गया है, "हम मानते हैं कि कानून और संविधान पवित्र है और बजरंग दल, पीएफआई या अन्य दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों और संगठनों के बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों के बीच इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है."


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस संगठन को भगवान हनुमान से जोड़कर इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनावी रैलियों के दौरान कांग्रेस पर जमकर बरसे और कहा, 'कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भगवान हनुमान को ताले में बंद करने का फैसला किया है. शुरू में, उन्होंने प्रभु श्री राम (भगवान राम) को बंद कर दिया. और अब वे 'जय बजरंग बली' कहने वालों को बंद करना चाहते हैं.'


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