नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद बीजेपी को थोड़ी राहत मिल सकती है. झारखंड के पूर्व सीएम और जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर सकते हैं. 2006 में बीजेपी से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा को निर्माण किया था, लेकिन अब उन्होंने 'घर वापसी' के संकेत दिए हैं. विधानसभा चुनाव में जेवीएम का प्रदर्शन बेहद औसत रहा और उसके सिर्फ तीन विधायक ही जीत दर्ज करने में कामयाब हो पाए थे.


2014 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी के 8 विधायक जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे. हालांकि चुनाव के कुछ वक्त बाद ही 6 विधायक उनका साथ छोड़ते हुए बीजेपी में शामिल हो गए. 2019 लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी महागठबंधन में शामिल हुए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन से खुद को अलग कर लिया था.


विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने पर झारखंड विकास मोर्चा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. जेवीएम विधानसभा चुनाव में 5 फीसदी से ही वोट हासिल करने में कामयाब हुई. विधानसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने महागठबंधन की सरकार को समर्थन देने का एलान किया था. प्रभात खबर को दिए बयान में मरांडी ने कहा है कि विधायकों के दबाब के चलते उन्होंने ऐसा कदम उठाया था. इसके साथ ही मरांडी ने ये भी कहा है कि विलय करने के लिए बीजेपी की उनकी प्राथमिकता है.


वहीं अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के सेंट्रल लीडरशिप ने जेवीएम के विलय के बारे में बात करने के लिए पूर्व सीएम रघुवर दास को दिल्ली बुलाया है. रघुवर दास के दिल्ली पहुंचने के बाद ही बीजेपी और जेवीएम के विलय की तस्वीर साफ हो सकती है.


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