अपने घर में जले हुए करंसी नोट की बरामदगी के चलते जांच का सामना कर रहे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. जस्टिस वर्मा ने लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी के गठन को चुनौती दी है. कोर्ट ने उनकी याचिका पर लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है.
मार्च में मिले थे नोट14 मार्च, 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली के घर पर आग लगी थी. उस समय वह दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे. आग बुझने के बाद पुलिस और दमकल कर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश दिखा. इस विवाद के बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया. साथ ही उन्हें न्यायिक कार्य से भी अलग कर दिया गया. यानी वह जज तो हैं, पर किसी मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.
12 अगस्त को बनी कमेटीलोकसभा के सदस्यों से मिले प्रस्ताव के आधार पर अध्यक्ष ओम बिरला ने 12 अगस्त 2025 को जांच कमेटी का गठन किया था. जजेस इंक्वायरी एक्ट, 1968 की धारा 3(2) के तहत गठित इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार हैं. मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ वकील बी वी आचार्य इसके सदस्य हैं.
याचिका में क्या कहा गया है?जस्टिस यशवंत वर्मा की दलील है कि उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में एक ही दिन पेश हुआ था. 21 जुलाई को पेश इस प्रस्ताव पर दोनों सदनों की तरफ से संयुक्त जांच कमेटी बननी चाहिए थी. राज्यसभा के तत्कालीन अध्यक्ष (उपराष्ट्रपति) के अचानक इस्तीफे के चलते राज्यसभा ने कोई फैसला नहीं लिया. इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ने एकतरफा फैसला लेते हुए कमेटी बना दी. यह कानूनन गलत था.
कोर्ट ने क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच के सामने जस्टिस यशवंत वर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए. रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद जजों ने इस बात पर हैरानी जताई कि कानून बनाने वाले सदन ने कानून की तरफ ध्यान नहीं दिया. रोहतगी ने जल्द सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कमेटी ने वर्मा को जनवरी में पेश होने के लिए कहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह 7 जनवरी को सुनवाई करेगा.
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