श्रीनगर: मध्य कश्मीर में पिछले साल एक जीप की बोनट से बांध कर मानव कवच के रूप में इस्तेमाल किए गए दस्तकार फारूक अहमद डार ने मेजर लीतुल गोगोई को एक मामले में थल सेना की एक ‘‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’’ में अभ्यारोपित किए जाने की खबर सुनने पर कहा कि ‘‘आखिरकार न्याय हुआ’’. इस साल मई में मेजर गोगोई एक स्थानीय लड़की के साथ श्रीनगर के एक होटल में कथित तौर पर पाए गए थे.
सेना सूत्रों ने बताया कि कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने गोगोई को दो आरोपों में अभ्यारोपित किया है. उन पर श्रीनगर के एक होटल में एक स्थानीय लड़की के साथ कथित तौर पर पाए जाने और अपनी ड्यूटी के स्थान से दूर रहने के आरोप हैं. इन आरोपों ने गोगोई के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त किया. डार ने कहा, ‘‘मैं अल्लाह का शुक्रगुजार हूं. जिस व्यक्ति ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया, उसे आखिरकार ईश्वर की नाराजगी का सामना करना पड़ा. ईश्वर का न्याय करने का अपना तरीका है.’’
डार (28) ने कहा कि थल सेना को उसके मामले को भी करूणा के आधार पर देखना चाहिए और रोष पैदा करने वाली घटना उसकी जुबानी सुनी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां तक भी आश्वस्त नहीं हूं कि क्या मैं फिर से सामान्य जीवन शुरू करने में सक्षम हूं. लेकिन मैं खुश हूं कि ईश्वर ने आखिरकार मुझे न्याय दिया. मेरी तबाही के लिए जिम्मेदार व्यक्ति भी आखिरकार शर्मशार हुआ.’’
गौरतलब है कि गोगोई द्वारा डार को मानव कवच के रूप में इस्तेमाल किए जाने का एक वीडियो लोगों के बीच आने के बाद उसके पड़ोसियों ने उससे दूरी बना ली थी. कथित तौर पर सरकार का एजेंट होने को लेकर ग्रामीणों द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाने से अवसाद से ग्रसित डार ने खुद को छोड़ने के लिए गोगोई से बार - बार लगाई गई गुहार को भी याद किया, जिसे मेजर ने सुनने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘थल सेना का मेजर अपनी शक्ति को लेकर अहंकार में था और खुद को मेरा सृजनकर्ता जैसा मानता था. हालांकि, वह नही जानता था कि उसकी लाठी में आवाज नहीं है. ’’ पिछले साल नौ अप्रैल को गोगोई के नेतृत्व वाली एक टीम ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में भारी पथराव से बचने के लिए डार को थल सेना की एक जीप की बोनट से बांध दिया था और उसका मानव कवच के रूप में इस्तेमाल किया था. इस घटना की तस्वीर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनी थी.
श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में वह चुनाव का दिन था. डार ने कहा कि वह अलगाववादी संगठनों के बहिष्कार की परवाह नहीं करते हुए अपना वोट डालने जा रहे थे. उस दिन पुलिस गोलीबारी में आठ लोग मारे गए थे. केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय पुलिस की जांच में उस दिन के घटनाक्रम के बारे में डार के बयान का समर्थन किया गया है, जिससे सेना के इस दावे पर सवाल उठता है कि वह एक पत्थरबाज था.
जांचकर्ताओं ने पाया कि डार मतदान के बाद अपनी बहन के यहां जा रहा था तभी सेना ने उसे उठा लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई की. इसके बाद उसे रस्सियों से बांध दिया और करीब 28 गांवों में घुमाया. डार ने कहा, ‘‘मैं अपनी गलती नहीं समझ पा रहा. क्या मतदान केंद्र तक जाना और अपना वोट डालना गुनाह है.’’
वहीं, गोगोई को पुलिस ने इस साल 23 मई को हिरासत में लिया था. दरअसल, एक होटल के रिसेप्शन पर गोगोई की उस वक्त कहासुनी हुई थी जब वह 18 साल की एक लड़की के साथ कथित तौर पर वहां गए थे.
सेना अधिकारियों ने बताया कि अभ्यारोपित किए जाने के बाद गोगोई को अब कोर्ट मार्शल की कार्यवाही के रूप में सबूतों से रूबरू होना पड़ेगा. थल सेना ने 23 मई की घटना के बाद कोर्ट ऑफ इनक्वायरी का आदेश दिया था. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी कहा था कि किसी अपराध में दोषी पाए जाने पर गोगोई को सख्त सजा मिलेगी.