लेह हिंसा और मौतों की घटना की जांच के लिए नियुक्त न्यायिक आयोग ने घटना में शामिल अधिकारियों के बयान दर्ज करने का काम पूरा कर लिया है. तीन सदस्यीय जांच आयोग ने 27 अक्टूबर को शहर के पहले दौरे के साथ अपनी कार्यवाही शुरू की थी और सार्वजनिक प्रतिनिधियों की बात सुनी थी.

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न्यायिक जांच आयोग के संयुक्त सचिव रिगजिन स्पालगोन ने मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को बताया कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस डॉ. बीएस चौहान की अध्यक्षता में 24 सितंबर, 2025 की लेह घटना से संबंधित गठित न्यायिक जांच आयोग ने 17 से 23 दिसंबर, 2025 तक अपनी कार्यवाही की और घटना के दिन ड्यूटी पर मौजूद CRPF, मजिस्ट्रेट और लद्दाख पुलिस के बयान दर्ज किए हैं. आयोग ने प्रारंभिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में पहले जमा किए गए उनके लिखित बयान पहले ही एकत्र कर लिए हैं और उनकी जांच कर ली है.

आम लोगों को बयान दर्ज करने के लिए जल्द बुलाया जाएगा

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संयुक्त सचिव ने कहा कि निकट भविष्य में होने वाली अगली बैठक में अब आम जनता को आयोग के सामने बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि जिन लोगों ने पहले ही अपने हलफनामे जमा कर दिए हैं, उनके बयान दर्ज करने की तारीखें उचित समय पर घोषित की जाएंगी.

24 सितंबर को विरोध प्रदर्शनों के दौरान चार नागरिक मारे गए और लगभग 90 घायल हो गए थे, जिससे क्षेत्र में तनाव और गुस्सा बढ़ गया. इसके बाद 26 सितंबर को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी हुई और कई बार कर्फ्यू और इंटरनेट बंद किया गया.

LAB और KDA ने की थी न्यायिक जांच की मांग

नागरिकों की मौत के परिणामस्वरूप लद्दाख स्थित दो संगठनों, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत से खुद को अलग कर लिया. न्यायिक जांच बातचीत फिर से शुरू करने के लिए उनकी प्रमुख मांगों में से एक थी और 22 अक्टूबर को, गृह मंत्रालय की ओर से न्यायिक आयोग की घोषणा के बाद केंद्र और लद्दाख समूहों ने बातचीत फिर से शुरू की. LAB और KDA राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर केंद्र के साथ चर्चा में लगे हुए हैं. लद्दाख को 2019 में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य से एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग किया गया था.

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