सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार (1 मई) को कहा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की लंबी छुट्टियां को लेकर उनकी आलोचना करते हैं, वे यह नहीं समझते कि न्यायाधीशों को तो शनिवार और रविवार की भी छुट्टी नहीं मिलती.


जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो लोग यह आलोचना करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट लंबी छुट्टियां लेते हैं, उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश कैसे काम करते हैं.


जस्टिस गवई ने बताया, क्या है लंबी छुट्टियों के लिए प्लानिंग
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मजाकिया अंदाज में कहा कि वैसे वेकेशन पर जजमेंट लिखने से बेहतर और भी चीजें हैं करने को. इस पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण ने बी मजाकिया अंदाज में कहा, 'लेकिन हम जजमेंट लिखते कब हैं?' जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आगे कहा कि लंबी जजमेंट छुट्टियों में ही लिखे जाते हैं, जो कि सही प्रैक्टिस है.


20 मई से शुरू हो रही हैं जजों की छुट्टियां
छुट्टी का मुद्दा तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के एक मामले में दलीलों के लिए गुरुवार का दिन तय किया और दोनों पक्षों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर जाने से पहले दलीलें पूरी की जाएं, जो 20 मई से शुरू होगा. पीठ पश्चिम बंगाल सरकार के एक वाद पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीबीआई पर राज्य से पूर्व अनुमति लिए बिना जांच करते रहने का आरोप लगाया गया है.


इस दौरान तुषार मेहता ने पीठ से कहा, 'जो लोग यह आलोचना करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट लंबी छुट्टियां लेते हैं, उन्हें नहीं पता कि जज कैसे काम करते हैं.'


जजों को शनिवार-रविवार को भी छुट्टी नहीं मिलती
इस पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा, 'जो लोग आलोचना करते हैं, वे यह नहीं जानते कि हमें शनिवार और रविवार की भी छुट्टी नहीं मिलती. अन्य कार्य, सम्मेलन आदि होते हैं.' पश्चिम बंगाल के मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे मेहता ने पीठ से कहा कि जज रोजाना 50 से 60 मामले देखते हैं और वे छुट्टियों के हकदार हैं. मामले में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा, 'यह देश में सबसे कठिन काम है.'


लंबी छुट्टियों में जजमेंट लिखते हैं जज?
पीठ ने कहा कि छुट्टियों के दौरान जज उनके द्वारा सुने गऐ मामलों में फैसले लिखते हैं. पीठ ने कहा, 'लंबे फैसले छुट्टियों में लिखने होते हैं.' तुषार मेहता ने कहा, 'जिन लोगों को प्रणाली की जानकारी नहीं है, वे इसकी आलोचना करते हैं.'


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