अहमदाबाद: आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी साबरमती की जिस जेल में बंद रहे थे उसी जेल के कैदियों के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. साबरमती की इस सेंट्रल जेल में नवजीवन ट्रस्ट कैदियों के लिए 'पत्रकारिता एवं प्रूफ रीडिंग' में डिप्लोमा पाठ्क्रम लेकर आ रहा है. इस ट्रस्ट की स्थापना महात्मा गांधी ने की थी.

नवजीवन ट्रस्ट के न्यासी विवेक देसाई ने कहा कि यह पाठ्यक्रम 15 अक्टूबर से शुरू होगा और कैदियों को प्रकाशन क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा. यह पाठ्क्रम गांधी की 149 वीं जयंती वर्ष के समारोह के हिस्से के तौर पर शुरू किया गया है.

इस साल 20 कैदियों को सिखाई जाएगी पत्रकारिता

देसाई ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि ट्रस्ट जेल अधिकारियों के साथ मिलकर यह कोर्स शुरू करने जा रहा है जो संभवत: अपने आप में पहले तरह का कोर्स है. उन्होंने बताया, "हमने इस साल पाठ्यक्रम के लिए 20 कैदियों को चुना है. पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद ट्रस्ट उन्हें प्रमाण-पत्र देगा. परीक्षा का माध्यम गुजराती होगा."

देसाई ने बताया कि पत्रकारिता एवं प्रकाशन की कुछ नामी हस्तियों को संकाय सदस्यों के तौर पर चुना गया है और कक्षाएं एक हफ्ते में तीन बार आयोजित की जाएंगी. उन्होंने बताया कि कई प्रकाशकों ने पाठ्यक्रम खत्म होने के बाद कैदियों को प्रूफ रीडिंग का काम देने पर सहमति जताई है.

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