Joshimath Land Sinking And Cracks: श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के चार विशेषज्ञों की टीम ने जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर जमीनी सर्वे किया है. उनके सर्वे से पता चला है कि जोशीमठ में आई दरारें 2 फीट चौड़ी और आधा किमी तक लंबी हैं. यह पहली बार है जब सरकारी अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से दरारों की लंबाई और चौड़ाई के बारे में खुलासा किया है. इस सर्वे से पता चलता है कि जोशीमठ में संकट कितना बड़ा है.

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विश्वविद्यालय ने जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए समिति का गठन किया था और विशेषज्ञों ने 25 से 28 जनवरी के बीच हुई दरारों का अध्ययन किया था. पैनल के सदस्यों ने मंगलवार (21 फरवरी) को विश्वविद्यालय के कुलपति एमएस रावत को रिपोर्ट सौंपी. अब इसे उत्तराखंड सरकार को भेजा जाएगा. पैनल में भूगोल के प्रोफेसर डीसी गोस्वामी, भूविज्ञानी श्रीकृष्ण नौटियाल और भूविज्ञान के सहायक प्रोफेसर कृष्णा गोस्वामी और अरविंद भट्ट शामिल हैं.

पैनल सदस्य श्रीकृष्ण नौटियाल ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "मनोहर बाग में दरारें 2 फीट जितनी चौड़ी थीं, इसमें एक व्यक्ति के अंदर खड़े होने के लिए पर्याप्त जगह थी. वहीं, खुले इलाकों में दरारें 300 मीटर तक और जहां निर्माण हो रहा है वहां आधा किमी तक फैला हुई थी." उन्होंने कहा कि दरारें जोशीमठ शहर के मध्य में रोपवे के पास है. पहले इसे भर दिया गया था, लेकिन जब दोबारा से साइट की जांच की गई तो दरारें फिर से आ गईं.

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'NTPC की टनल बोरिंग से हुआ पानी का रिसाव'

समिति के सदस्यों ने कहा कि एनटीपीसी की टनल बोरिंग मशीन सहित प्राकृतिक और मानवजनित दबाव के कारण बड़ी मात्रा में पानी का रिसाव हुआ है. बता दें कि एनटीपीसी ने भू-धंसाव में अपनी भूमिका होने में शुरू से ही इनकार किया है. 

'बारिश तय करेगी जोशीमठ का भविष्य'

पैनल ने आगे कहा कि इस साल की मॉनसून की बारिश जोशीमठ के भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा, "यह शहर की 'भार वहन क्षमता' है जिसे कम करने की आवश्यकता है. अगर शहर पर दबाव बढ़ाया गया तो इससे परेशानी और ज्यादा बढ़ेगी." विशेषज्ञों ने ये भी बताया कि जोशीमठ तकनीकी रूप से सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र में है और निजी और सरकारी निर्माण कार्यों के दबावों ने वर्तमान स्थिति को ट्रिगर किया है.

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