रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पड़ोसी राज्य बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. गौरतलब है कि साल 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. जिसके मद्देनजर गठजोड़ का दौर भी शुरू हो गया है. इस बार  चुनावी मैदान में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री हुई है. इस वजह से दो विरोधी दलों के बीच तकरार पैदा हो गई है.

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ओवैसी ने सीमांचल के इलाके में एक विशाल रैली की घोषणा कर दी. किशनगंज में 29 दिसंबर को रैली करने जा रही एआईएमआईएम के साथ एक मंच पर जीतनराम मांझी भी मौजूद रहेंगे. ओवैसी और मांझी के इस जोड़े ने सियासी गर्मी बढ़ा दी है. एआईएमआईएम के जीत के बाद मांझी ने मुबारकबाद देते हुए मुस्लिम दलित एकता की बात कही. मांझी का कहना है कि दलित और मुसलमान अगर साथ हो जाएं तो ये सबसे बेहतर गठबंधन होगा. बिहार में महा गठबंधन में अब तक कुछ भी तय नहीं हुआ है. मांझी ने कहा कि मुझे सीएए और एनआरसी का विरोध करना है.

जीतनराम मांझी के इस कदम पर उनके सहयोगी सवाल खड़े कर रहें हैं. महागठबंधन की अगुवाई कर रहे आरजेडी को ये कदम नगवार गुजर रहा है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेन्द्र ओवैसी को आरएसएस का ऐजेंट बता रहे हैं और मांझी को भी भला बुरा कह रहे हैं. जेडीयू ने मौके का फायदा उठाते ही जीतनराम मांझी और महागठबंधन पर हमला कर दिया. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जीतनराम मांझी जिस स्वार्थ के लिए एआईएमआईएम के साथ हाथ मिला रहें है उसमें उनका नुकसान ही है. बिहार में इस नए गठबंधन का सियासी सवेरा निकल आया है, लेकिन जिस तरह मांझी और ओवेसी ने हाथ मिलाया है आने वाला कल क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा. 29 तारीख की रैली के बाद महा गठबंधन बना रहेगा या टूटेगा इस पर सबकी नजर है.

ये भी पढ़ें-

यूपी फिर से ना जले, इसके लिए की जा रही है ये खास तैयारी

सुसाइड के वक्त घर में अकेले थे कुशल पंजाबी, माता-पिता ने चाबी वाले से खुलवाया दरवाजा