नई दिल्ली: झारखण्ड के सिमडेगा के बाद अब धनबाद में एक शख्स की भूख की वजह से मौत हो गई. झरिया के ताराबगान नगर निगम के 40 साल के वैद्यनाथ दास भूख और आर्थिक तंगी से काल के गाल में समा गये.

वैद्यनाथ भाड़े पर रिक्शा चलाने का काम करते थे और उसी कमाई से परिवार चलता था. वैद्यनाथ की तबीयत पिछले कई दिनों से खराब थी, जिसकी वजह से वे रिक्शा नहीं चला पा रहे थे. धीरे-धीरे घर में रखा सारा राशन खत्म हो गया और दाने-दाने को तरसते हुए वैद्यनाथ का असमय ही निधन हो गया.

वैद्यनाथ की मौत के बाद जहां उसके घर वाले सदमे में हैं वहीं सरकारी तंत्र इसे भूख से हुई मौत मानने से इंकार कर रहा है. वहीं मृतक के परिजन इसे भूख से हुई मौत बता रहे हैं. केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति विभाग की जांच टीम ने भी स्थानीय प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए बीमारी से हुई मौत करार दे दिया.

वैद्यनाथ के परिवार को खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत राशन कार्ड तक उपलब्ध नहीं था. जिससे उसे दो वक्त का राशन मिल सके. अब जब भूख उसकी मौत भूख से हो गयी है तो राशन कार्ड और दूसरे सरकारी सुविधा उपलब्ध करने की बात कह कर स्थानीय प्रशासन अपना पलड़ा झाड़ने में लगा है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि वैद्यनाथ बहुत गरीब था और 30 रुपये रोज के हिसाब से किराया का रिक्शा चलाया करते थे. लोगों ने बताया कि कैसे मृतक के परिजनों को कानून के लफड़े में फंसने का भय दिखाकर शव को जल्दबाजी में जलवा दिया.