Jawaharlal Nehru letter to Edwina Mountbatten Latest News: प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) ने पहली बार औपचारिक रूप से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण, अल्बर्ट आइंस्टीन आदि को लिखे गए व्यक्तिगत पत्रों को वापस करने की मांग की है. ये पत्र 2008 में यूपीए शासन के दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को भेजे गए थे.

भाजपा ने कहा कि नेहरू के पत्रों के 51 डिब्बे ले जाए गए, जबकि पार्टी के कुछ नेताओं ने विशेष रूप से एडविना माउंटबेटन को लिखे गए पत्रों की ओर इशारा किया. नेहरू की ओर से एडविना को लिखे गए पत्रों में ऐसा क्या है और लगभग 80 वर्षों के बाद भी वे राजनीतिक चर्चा में क्यों लौट रहे हैं, आइए जानते हैं विस्तार से.

PMML के सदस्य ने राहुल गांधी को भी लिखा लेटर

10 दिसंबर को लिखे गए एक पत्र में पीएमएमएल के सदस्य और अहमदाबाद स्थित इतिहासकार रिजवान कादरी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लेटर लिखकर उनकी मां सोनिया गांधी से मूल पत्र वापस लेने या उनकी फोटोकॉपी या डिजिटल संस्करण उपलब्ध कराने के लिए कहा. इसी तरह का अनुरोध पहले सितंबर में सोनिया गांधी से किया गया था. पहली बार यह बात रिकॉर्ड में दर्ज की गई है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने 2008 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी से जवाहरलाल नेहरू के कागजात ले जाने के लिए किसी को नियुक्त किया था.

कादरी ने राहुल को लिखे लेटर में कही ये बात 

कादरी ने कहा कि ये पत्र नेहरू के एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, विजया लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, बाबू जगजीवन राम और गोविंद बल्लभ पंत के साथ संवाद से संबंधित हैं. उन्होंने आगे कहा कि ये पत्र रिसर्चर्स और विद्वानों के लिए मददगार हो सकते हैं और इन्हें पीएमएमएल में उपलब्ध होना चाहिए.

बीजेपी पूछ रही सवाल- लेटर में ऐसा क्या जो कांग्रेस छिपा रही

वहीं, भाजपा सांसद संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि 51 कार्टन पत्रों को ले जाया गया. पार्टी के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर लिखा, "भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से एडविना माउंटबेटन को लिखे गए पत्रों में ऐसा क्या रहस्य था कि सोनिया गांधी ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया? देश सोनिया गांधी से जवाब मांगता है."

एडविना माउंटबेटन की बेटी ने बताया लेटर से जुड़ा राज!

नेहरू की ओर से एडविना को लिखे गए पत्रों को फिलहाल नहीं देखा जा सकता है, लेकिन माउंटबेटन परिवार के सदस्यों, जैसे कि एडविना माउंटबेटन की बेटी पामेला हिक्स ने कुछ पत्र देखे थे. पामेला ने अपनी पुस्तक डॉटर ऑफ एम्पायर: लाइफ एज़ ए माउंटबेटन में इसका उल्लेख किया है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पामेला ने लिखा है कि उनकी मां और नेहरू के बीच "गहरा रिश्ता" था, जो 1947 में उनके पति और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुइस माउंटबेटन के साथ भारत आने से शुरू हुआ था.

'एक-दूसरे से प्यार करते थे दोनों'

उन्होंने इस पत्र में चर्चा की, "उन्हें लगा कि वे और मेरी मां एक-दूसरे से कितना प्यार करते थे और एक-दूसरे का कितना सम्मान करते थे". पामेला ने कहा कि एडविना को नेहरूजी में वह संगति और आध्यात्मिकता और बुद्धि की समानता मिली जिसकी उन्हें लालसा थी. उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा, "इस तथ्य के अलावा कि न तो मेरी मां और न ही पंडितजी के पास शारीरिक संबंध बनाने का समय था, वे शायद ही कभी अकेले होते थे. वे हमेशा कर्मचारियों, पुलिस और अन्य लोगों से घिरे रहते थे लेकिन जब एडविना माउंटबेटन भारत छोड़ने वाली थीं, तो वह नेहरू के लिए एक पन्ना की अंगूठी छोड़ना चाहती थीं। यह अच्छी तरह जानते हुए कि वह इसे नहीं लेंगे, उन्होंने इसे अपनी बेटी इंदिरा गांधी को दे दिया."

नेहरू ने एडविना के लिए दिया था विदाई भाषण

एक और दिलचस्प बात यह है कि नेहरू ने एडविना के लिए विदाई भाषण दिया, जिसकी चर्चा पामेला ने अपनी किताब में की है. नेहरू ने भाषण में कहा, "आप जहां भी गईं, आपने सांत्वना, उम्मीद और प्रोत्साहन दिया है. भारत के लोग आपसे प्यार करते हैं और आपको अपना ही मानते हैं और आपके जाने पर दुखी हैं?"

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