Atala Masjid: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मौजूद 14वीं सदी की अटाला मस्जिद विवादों में घिर गई है. इस मस्जिद के मंदिर होने का दावा कर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है. वहीं, अब इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ सालों से ये देखा जा रहा है कि बाबरी मस्जिद के तर्ज पर अन्य ऐतिहासिक मस्जिदों को मंदिर बताकर कोर्ट में मुकदमे किए जा रहे हैं. 


अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि ऐतिहासिक अटाला मस्जिद का निर्माण फिरोजशाह ने सन 1393 ईसवीं में शुरू करवाया. इब्राहिम शाह शर्की ने 1408 ईसवीं में मस्जिद का निर्माण पूरा किया. अटाला मस्जिद को तैयार होने में 15 साल लग गए. उन्होंने बताया कि ये मस्जिद 100 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाली है. जौनपुर में जितनी भी मस्जिदें बनी हैं, उनके निर्माण के लिए इसे बेहतरीन आदर्श माना गया है. 


मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की बात करना गलत: मौलाना शहाबुद्दीन


मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि अटाला देवी मंदिर को तोड़कर फिरोजशाह तुगलक द्वारा मस्जिद बनाए जाने का दावा करना बिल्कुल गलत है. मस्जिद के साथ एक मदरसे का भी निर्माण किया गया था. अटाला मस्जिद के बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दस्तावेजों में भी जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा कि इन दिनों चंद फिरकापरस्त ताकतों की नजर देश की ऐतिहासिक मस्जिदों पर हैं, जिन्हें मंदिर बताया जा रहा है. आजादी के बाद भी कुछ लोग सांप्रदायिक सोच से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. 


बाबरी की तर्ज पर मस्जिदों में ढूंढें जा रहे मंदिर के निशान: मौलाना शहाबुद्दीन


शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा कि कुछ सालों से ये चीज देखने को मिल रही है कि बाबरी मस्जिद के तर्ज पर अन्य ऐतिहासिक मस्जिदों में मंदिर के निशान तलाशे जा रहे हैं. इसके बाद उनके मंदिर होने का दावा कर कोर्ट में मुकदमा दायर किया जा रहा है. इस तरह की सांप्रदायिक सोच रखने वाले लोगों को अपनी हरकतों से बाज आना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत काम किया जाए तो इस तरह के मुकदमों पर पूरी तरह से रोक लग जाए. 


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