Jammu Kashmir Terror Funding Case: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने टेरर फंडिंग मामले में भ्रष्टाचार और सबूत नष्ट करने के आरोप में डिप्टी पुलिस अधीक्षक शेख आदिल मुश्ताक को गिरफ्तार किया है. अधिकारी को गुरुवार (21 सिंतबर) को विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया. फिलहाल उन्हें छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. कथित तौर पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलीं थीं.
श्रीनगर पुलिस के अनुसार इस साल फरवरी में जब अधिकारी पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और कदाचार के आरोप लगे थे, तब वह नौगाम के SDPO के रूप में कार्यरत थे. अधिकारी को उनके पद से हटाकर सशस्त्र विंग में ट्रांसफर कर दिया गया था. साथ ही मामले की आंतरिक जांच का आदेश भी दिया गया था. जांच के लिए छह सदस्यीय विशेष दल का गठन किया गया था.
बता दें कि नौगाम पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 7ए और भारतीय दंड संहिता की धारा 167, 193, 201, 210, 218, 221 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
आरोपी अधिकारी गिरफ्तार
जांच के दौरान अधिकांश आरोप विश्वसनीय पाए गए और आरोपी अधिकारी को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही वित्तीय लेनदेन से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों और दस्तावेजों को बरामद करने के लिए उनके आवास और अन्य स्थानों पर कई छापे मारे गए.
अधिकारी ने आरोपी का किया था मार्गदर्शन
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, आरोपी अधिकारी ने आतंकी फंडिंग मामले के आरोपी मुजम्मिल जहूर से मामले में जांच को सीमित रखने और उसे बचाने के लिए पैसा लिया था. सूत्रों ने बताया कि डीएसपी आदिल ने मामले में चल रही जांच को गुमराह करने के लिए उसका मार्गदर्शन किया था.
मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाया बयान
जहूर ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया और आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी पुलिस अधिकारी से मिली मदद का खुलासा किया. जहूर ने एफआईआर 20/2023 में आतंकी फंडिंग मामले के मुख्य आरोपी उमर आदिल की रिहाई की मांग करते हुए डीएसपी से संपर्क किया था और बदले में डीएसपी ने उसे पैसे के बदले जांच सीमित रखने का वादा किया था.
झूठी शिकायत दर्ज करवाने को कहा
दोनों के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर 7 जुलाई से 19 जुलाई 2023 के बीच बातचीत हुई थी. जांच के अनुसार इस दौरान डीएसपी आदिल ने मुजम्मिल जहूर को उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जो मामले की जांच में शामिल थे, ताकि उसे बचाया जा सके और आधिकारियों के खिलाफ एक केस भी बनाया जा सके.
जांच से पता चलता है कि पुलिस अधिकारी ने मामले में अन्य दो आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया था, बल्कि कार्रवाई को केवल उनके घरों की तलाशी तक सीमित रखा था.
अधिकारी ने मदद करने को कहा
जहूर ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए अपने बयान में खुलासा किया, "मुझसे संपर्क किया गया और जांच अधिकारी से कॉन्टैक्ट करके उमर आदिल डार (आतंकवादी फंडिंग मामले में मुख्य आरोपी) की रिहाई के लिए या जांच को सीमित करने के लिए पैसे का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया. मैं आरोपी उमर आदिल डार की रिहाई के लिए तत्कालीन एसडीपीओ (आदिल मुश्ताक) के ऑफिस गया . उन्होंने बताया कि यह काम मुश्किल है, क्योंकि उमर यूएपीए मामले में शामिल है और उसे तुरंत रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन अधिकारी ने बताया कि वह उनकी मदद करेंगे."
जहूर ने कहा, "जांच को सीमित रखने के लिए अधिकारी ने उससे पैसे की मांग की. मैंने उन्हें वीएमएस फार्मा के पास 2.73 लाख रुपये का भुगतान किया, इसके अलावा पुलिस अधिकारी ने मुझे कुछ महीनों के लिए अंडरग्राउंड रहने के लिए कहा. "
अंडरग्राउंड रहने की सलाह
कुछ महीनों के बाद उन्होंने (डीएसपी आदिल) मुझे सलाह दी और SHO नौगाम के खिलाफ शिकायत का मसौदा तैयार करने में मेरा मार्गदर्शन किया. साथ ही उन्होंने एक वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करने में भी मेरी मदद की. मैंने ये क्लिप रिकॉर्ड करके उन्हें भेज दी. इसके बाद श्रीनगर की अदालत में शिकायत दर्ज की गई. इसके बाद डीएसपी आदिल मुश्ताक ने इस शिकायत पर अदालत का आदेश आने तक अंडरग्राउंड रहने की सलाह दी. हालांकि, पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया.
आतंकी ऑपरेटर्स के साथ सांठगांठ
जांच में विभिन्न पुलिस अधिकारियों और आतंकी ऑपरेटर्स के बीच एक बड़ी सांठगांठ का खुलासा होने की संभावना है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
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