Jammu Kashmir Delimitation: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद इस पर सियासत तेज हो गई है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने परिसीमन आयोग को बीजेपी का विस्तार बताया है. तो वहीं नेशनल और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इस रिपोर्ट को लेकर आपस में ही भिड़ गईं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस (Jammu Kashmir National Conference) ने गुरुवार को कहा कि वह जम्मू कश्मीर में हर विधानसभा क्षेत्र पर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के असर का अध्ययन कर रही है. पार्टी ने यह भी कहा कि जब भी केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव होंगे, मतदाता बीजेपी और उसके झूठे चेहरों को सजा देंगे.

हालांकि बीजेपी की सहयोगी माने जाने वाली सज्जाद गनी लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस (Jammu And Kashmir People’s Conference) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि आयोग के विचार-विमर्श में उसके सांसदों ने भाग लिया था और इस तरह उसने परिसीमन की कवायद को अपनी स्वीकृति दी.

कब जारी की गई अधिसूचना ?

जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद में लगे तीन सदस्यीय आयोग ने गुरुवार को अपने अंतिम आदेश में 47 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर के लिए और 43 जम्मू के लिए चिह्नित किये. आयोग का दो साल का कार्यकाल कल ही समाप्त होने वाला है. सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने जम्मू को छह अतिरिक्त सीटें और कश्मीर को एक और सीटें देने वाले अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर किये जिसके बाद इसकी राजपत्रित अधिसूचना जारी की गयी. 

परिसीमन पर क्या बोली नेशनल कॉन्फ्रेंस ?

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ट्वीट किया, ‘‘हमने परिसीमन आयोग की अंतिम सिफारिशें देखी हैं. हम प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए इन सिफारिशों के प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं.’’ पार्टी ने कहा, ‘‘राजनीति से प्रेरित कितना भी परिसीमन क्यों न कर दिया जाए लेकिन इससे जमीनी सचाई नहीं बदलने वाली, जो यह है कि जब भी चुनाव होंगे तब मतदाता बीजेपी और इसके सहयोगी दलों को नहीं बख्शेंगे, उन्होंने बीते चार साल में जम्मू-कश्मीर में जो किया है उसके लिए मतदाता उन्हें दंडित करेंगे.’’

हालांकि पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि परिसीमन की रिपोर्ट पहले का दोहराव ही है. उसने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि परिसीमन की कार्रवाई को उसने हमेशा अच्छा ही माना है. उसने कहा कि बीते छह दशक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीटों में कश्मीर की हिस्सेदारी 43 से बढ़ाकर 47 कर दी गई जबकि जम्मू का प्रतिनिधित्व 30 से बढ़कर 43 हो गया. पार्टी ने पूछा कि 1947 के बाद से कश्मीरी लोगों के अधिकारों को सुनियोजित तरीके से छीनने के लिए कौन जिम्मेदार है.

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