Right To Education Act 2009: जम्मू-कश्मीर में निजी और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा एक वास्तविकता होगी. यह राज्य के इतिहास में पहली बार हो रहा है. जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य की जमीन पर चल रहे सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का निर्देश दिया है. 


Jammu- Kashmir Education: जम्मू कश्मीर के गरीब बच्चे अब वहां के प्राइवेट स्कूली में पढ़ पाएंगे. दरअसल स्कूल शिक्षा कश्मीर निदेशालय (डीएसईके) ने इसे लेकर निर्देश जारी किए हैं. स्कूल शिक्षा कश्मीर निदेशालय (डीएसईके) ने कश्मीर संभाग के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (CEO) को संबोधित करते हुए आधिकारिक तौर पर इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए कहा है.


इसमें आरटीई अधिनियम की धारा 12 (1) सी का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि ये इन प्राइवेट स्कूलों की जिम्मेदारी है. इसके तहत बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए कक्षा पहली प्राथमिक या पूर्व-विद्यालय शिक्षा की कुल संख्या का कम से कम एक-चौथाई (25 फीसदी) प्रवेश देना है. जम्मू-कश्मीर में अभी तक केवल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ही कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क शिक्षा थी.


कमजोर वर्गों के 25 फीसदी छात्रों का एडमिशन जरूरी


शिक्षा निदेशालय के आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है, "राज्य की जमीन पर काम करने वाले सभी निजी स्कूलों को प्रवेश को उचित रूप से प्रचारित करके अपने जलग्रहण क्षेत्र के कमजोर वर्गों के 25 फीसदी छात्रों को अनिवार्य रूप से प्रवेश देना आवश्यक है." निदेशालय ने सभी सीईओ से राजकीय जमीन पर चल रहे निजी विद्यालयों यानी प्राइवेट स्कूलों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है. एक अधिकारी ने कहा कि निर्देश का उद्देश्य सभी बच्चों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना है.


हर बच्चे को मिले सीखने का समान अवसर


अधिकारी ने कहा, "यह एक अधिक समान शिक्षा प्रणाली बनाने की दिशा में एक कदम है जो यह सुनिश्चित करता है कि हर बच्चे को सीखने और बढ़ने का बराबर अवसर मिले और घाटी के शीर्ष निजी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले." सरकार ने राजकीय जमीन पर संचालित सभी निजी विद्यालयों के प्रधानों को इस निर्देश का पालन करने को कहा है.


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