नई दिल्ली: मंगलवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के घायल छात्रों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के 15 दिसंबर को हुई घटना के बारे में बताया. छात्रों का कहना है कि 15 तारीख को पुलिस ने अचानक से उनपर हमला कर दिया. इस कॉन्फ्रेंस में अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्यूब भी शामिल हुए.

घायल छात्र जुनैद अशरफ ने कहा, "13 तारीख को जब पहली बार पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब हमें ये चोट लगी. 15 की शाम को को पुलिस जामिया कैंपस के अंदर घुस गई और वहां लाइब्रेरी में लाठीचार्ज किया. वहां पर भगदड़ सी मच गई थी. लोगों को समझ नहीं आ रहा था क्या करें! उनका कहना था कि उन्हें मार दिया जाएगा. ऐसे हालात में हो सकता है किसी छात्र ने ईंट चला दी हो. जामिया की हालत देख करके अब अब करके अब अब रोना आता है. पुलिस ने साथियों को डिटेन करके करके कालकाजी थाने में रखा .वहां लॉयर्स मौजूद थे.एबीपी न्यूज़ की टीम और घरवाले मौजूद थे. मगर किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया. हर्ष मंदर जब अंदर गए तो पता चला कि उन्हें किसी भी किस्म की मेडिकल सुविधा नहीं दी गई है."

21 साल के शाहदोश (घायल छात्र) कहते हैं, "हम लाइब्रेरी में पानी पीने गए और अचानक से आंसू गैस के गोले अंदर फायर किए जाने लगे. हम भाग कर दूसरे फ्लोर पर गए गए. हमें बाहर निकलने का मौका नहीं मिला. अंदर से कोई भी पथराव नहीं हुआ है. 1-2 पथराव हुआ भी हो तो वह सेल्फ डिफेंस में ही हुआ होगा. थाने में हम पानी मांगते रहे हमें पानी नहीं दिया गया मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई."

हमज़ला मुजीबी ने कहा, "7:00 बजे पुलिस ने कैंपस में तीन तरफ से एंटर किया ताकि बच्चे भाग ना सके सके सके. हमने पुलिस से बात करने की कोशिश की कि हमारे पास कोई हथियार नहीं है फिर भी फिर पुलिस ने हिंसा किया. हमारा आंदोलन अहिंसा के आधार पर ही शुरू हुआ. हमारे टीचर रोड पर लेट गए सिर्फ यह बताने के लिए कि यह आंदोलन अहिंसक है .जो भी हिंसा हुई हमें उसका खेद है .इसमें जामिया का कोई भी छात्र शामिल नहीं है."

मोहम्मद मुस्तफा (घायल छात्र) बताते हैं, "मैं प्रोटेस्ट में में शामिल भी नहीं था. मैं लाइब्रेरी पढ़ाई करने गया था. अचानक से वहा टीयर गैस फायर किया गया. हमने गेट बंद कर लिए तो पुलिस ने गेट तोड़कर के इंटर किया. मुझे हेड इंजरी की . जब मैंने अपने हाथ ऊपर किए उन्होंने मेरे दोनों हाथ भी तोड़ दिया .मैं बेहोश हो गया फिर भी वह मुझे मारते रहे. पुलिस अपनी असफलता को छिपाने के लिए छात्रों पर हिंसा का आरोप लगा रही है आश्रम में पत्थरबाजी हुई फिर कार्रवाई लाइब्रेरी में क्यों की गई कार्रवाई लाइब्रेरी में क्यों की गई. पुलिस वाले कह रहे थे लेट देम डाई. हमारे बारे में कम्युनल कमेंट भी किए."

आसिफ का कहना है, "हम सब गेट नंबर 7 पर खड़े थे .तब तक पुलिस वालों पुलिस वालों वालों ने आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू किए. मैं बेहोश हो गया फिर हमें मारना शुरू किया. जामिया का कोई भी छात्र हिंसा में शामिल नहीं था. पत्थरबाजी में हमारा कोई भी साथी शामिल नहीं था."

आंदोलन का चेहरा बनने वाली लड़की तीन लड़कियों में से एक चंदा हमें बताती हैं, "हम शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट कर रहे थे. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के रेड लाइट पर अचानक से पुलिस हम पर हमला कर देती है. हम घर में छुपे. पुलिस हमारे साथी शाहीन को खींचती है. उनके पास प्रेस कार्ड था. उन्होंने दिखाया भी फिर भी पुलिस उनको मारने लगती है. वीडियो में सिविल ड्रेस में जो इंसान दिख रहा है वह पुलिस वालों का ही बुलाया हुआ गुंडा होगा. स्टूडेंट ने पत्थरबाजी नहीं की थी. हम शांतिपूर्वक ही मार्च कर रहे थे."