जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देकर देश की राजनीति में एक हलचल मचा दी. उन्होंने फैसले को लेकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष ने इस वजह पर ही सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले को संदिग्ध बताया और कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया. धनखड़ के इस्तीफे पर सरकार और भाजपा की चुप्पी को देखते हुए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने सुझाव दिया कि अचानक उठाए गए इस कदम के पीछे कुछ शरारत है. खरगे ने कहा, "सरकार को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया. मुझे दिख रहा है कि दाल में कुछ काला है. उनका स्वास्थ्य ठीक है. उन्होंने हमेशा आरएसएस और भाजपा का बचाव किया है. उनके इस्तीफे के पीछे कौन और क्या है यह देश को पता होना चाहिए.''

इस्तीफे के संभावित कारणजगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का एक बड़ा कारण है, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव, जिसमें धनखड़ ने विपक्ष का समर्थन करते हुए राज्यसभा में उस प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. इस प्रस्ताव को सरकार खुद लोकसभा में लाकर भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख दिखाना चाहती थी. धनखड़ की अगुवाई में राज्यसभा में यह कदम पहले ही उठाया गया, जिससे सरकार की संभावित रणनीति विफल हो गई और सरकार को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी झेलनी पड़ी.

धनखड़ की छविपश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए धनखड़ अक्सर ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे थे. उन्होंने उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी कई बार विपक्ष के साथ तीखी बहस की. हालांकि, इसी बीच उनका न्यायपालिका और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर निष्पक्ष रवैया भी दिखाई दिया.

प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी और ट्वीटधनखड़ के इस्तीफे के 15 घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बस सेवा के लिए धन्यवाद जैसा संदेश दिया. इस ट्वीट की नपे-तुले शब्दों में की गई अभिव्यक्ति ने राजनीतिक गलियारों में और ज्यादा अटकलों को जन्म दिया. गौरव गोगोई ने तो यहां तक कहा, प्रधानमंत्री का ट्वीट ही इस इस्तीफे की राजनीतिक प्रकृति को उजागर करता है.

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