जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में राजनीति पारा चढ़ा हुआ है. उनके अचानक इस्तीफे के बाद ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि पूर्व राष्ट्रपति की तबीयत सही में खराब थी या मामला कुछ और है. किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के पद से हटने के बाद आमतौर पर उनकी जो प्रशंसा की जाती है, वह इस मौके पर सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से देखने को नहीं मिली.

जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के नोटिस से बीजेपी नाराज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश जगदीप धनखड़ को लेकर संदेश उनके इस्तीफे को घोषणा के 15 घंटे बाद आया. धनखड़ ने सोमवार को सदन को सूचित किया था कि उन्हें 63 विपक्षी सांसदों की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के प्रस्ताव का नोटिस मिला है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए यह नोटिस इस कारण शर्मिंदगी का सबब बन गई क्योंकि यह पूरी तरह विपक्ष प्रायोजित कवायद थी.

वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत हरकत में आते हुए बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के कई राज्यसभा सदस्यों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवा लिए, जिसके बारे में कुछ सदस्यों ने कहा कि यह इसी तरह के नोटिस के लिए था. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्यसभा में इस कवायद के पीछे केवल विपक्षी सदस्य ही नहीं हैं.

कुछ विश्लेषकों ने कहा कि 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने से पहले एक वरिष्ठ वकील रहे धनखड़ ने कई मुद्दों पर न्यायपालिका को आड़े हाथ लिया था, जिनमें से जस्टिस वर्मा से जुड़ा मामला था और जब ऐसा प्रतीत हुआ कि हाई कोर्ट के जस्टिस को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाना है तो उन्होंने खुद को उपेक्षित महसूस किया होगा.

केंद्र सरकार की प्लानिंग पर फेरा पानी!

इस नोटिस ने जस्टिस वर्मा को हटाने की सरकार की सोची-समझी योजना पर पानी फेर दिया. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा के एक अधिकारी ने कहा, "सरकार महाभियोग प्रस्ताव को पहले लोकसभा में पारित कराना चाहती थी. इसे सरकार की सफलता के रूप में प्रचारित किया जाता और न्यायपालिका को एक स्पष्ट संदेश दिया जाता, लेकिन धनखड़ ने पहले बाजी मार ली."

इससे नाराज बीजेपी ने फैसला किया पार्टी प्रमुख और राज्यसभा के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू शाम को धनखड़ के नेतृत्व में होने वाली दूसरी बीएसी बैठक में शामिल नहीं होंगे. कांग्रेस जब इस मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधा तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि धनखड़ के कार्यालय को बताया गया था कि वे बैठक में शामिल नहीं हो सकते. इसी घटना के बाद जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने पर विचार किया होगा.

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