Save The Astronauts :  इसरो ने बुधवार को श्रीहरिकोटा से क्रू एस्केप सिस्टम के लो एल्टीट्यूड एस्केप मोटर का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. जो गगनयान परियोजना में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है. इसरो ने फिर से एक बार इतिहास रचा है. इसीलिए इसरो की देश में जमकर सराहना की जा रही है.


क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) किसी भी घटना के मामले में गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल को अलग कर देता है और अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाता है. उड़ान के प्रारंभिक चरण के दौरान मिशन निरस्त होने के मामले में एलईएम सीईएस को जरूरत पड़ने वाला बल देता है. इससे प्रक्षेपण यान से क्रू मॉड्यूल अलग हट जाता है.


एलईएम चार रिवर्स फ्लो नोजल के साथ एक विशिष्ट प्रकार की ठोस रॉकेट मोटर है. जो लगभग 5.98 सेकेंड के जलने के समय के साथ 842 केएन का अधिकतम बल उत्पन्न करता है. एलईएम का नोजिल सिरा रॉकेट मोटर्स में पीछे की तरफ से उल्टी दिशा में प्रक्षे यान के सामने के छोर पर लगाया जाता है. इससे चालक दल के मॉड्यूल को टक्कर से बचाया जाता है. रिवर्स फ्लो नोजल का मतलब नोजल से निकलने वाले गैस के प्रवाह को उल्टी दिशा प्रदान करना है.


2023 में गगनयान के अंतरिक्ष उड़ान भरने का है लक्ष्य


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान को लेकर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो पहले ही कमर कस चुका है. भारत का पहला मानव मिशन 2023 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने का लक्ष्य तय किया गया है. इस मिशन में भारत के तीन अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) भी होंगे.


कोरोना के चलते मिशन में हुई देरी


भारत ने क्रू माड्यूल टेस्ट के तौर पर पहली बार दिसंबर 2014 में परीक्षण किया था. यह मानव रहित टेस्ट था. इसरो ने गगनयान मिशन के लिए इसरो ने इस मिशन के लिए कई नेशनल कोलैबोरेशंस भी किए हैं. जिसमें आईएमडी, बार्क, डीआरडीओ, सीएसआईआर, इंडियन कोस्ट गार्ड, इंडियन नेवी, इंडियन एयर फोर्स, आईआईटी मद्रास कानपुर और पटना, आईआईएसटी, एनआईओटी, आईआईएससी जैसे अन्य संस्थान शामिल है.


दरअसल यह मिशन भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लांच करने का प्लान था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण मिशन में देरी हो गई. इसीलिए गगनयान मिशन का लक्ष्य 2023 रखा गया है. जिसको पूरा करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की टीम दिन-रात जुटी हुई है.


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