नई दिल्ली: इसरो प्रमुख के सिवन ने गुरुवार को कहा कि निजी क्षेत्र को अब रॉकेट और उपग्रह बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं मुहैया कराने जैसी अंतरिक्ष गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरग्रहीय मिशन का भी हिस्सा बन सकता है. कैबिनेट ने ग्रहों पर अन्वेषण के मिशन समेत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बुधवार को अनुमति दी.
इसरो की नहीं होंगी गतिविधिया कम
हालांकि सिवन ने कहा कि इसरो की गतिविधियां कम नहीं होंगी और वह उन्नत शोध और विकास, अंतरग्रहीय और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों समेत अंतरिक्ष आधारित गतिविधियां जारी रखेगा.
अब अंतरिक्ष में रॉकेट छोड़ने का काम भी करेंगी प्राइवेट कम्पनियां!
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार होता है, जिसने अपनी क्षमता के बल पर कई उपलब्धियां पाई हैं. इसे भारत की अपनी स्पेस एजेंसी इसरो ने सम्भव कर दिखाया है. उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने से लेकर अपना रॉकेट मंगल ग्रह और चांद तक भेजने तक इसरो ने क़ामयाबी के झंडे गाड़े हैं. लेकिन अब देश में अंतरिक्ष विज्ञान की तस्वीर बदल सकती है क्योंकि मोदी सरकार ने इस क्षेत्र को निजी हाथों के लिए भी खोलने का फ़ैसला किया है.
बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बदलावों को मंज़ूरी दी गई. अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने इन बदलावों को सुधार का बड़ा क़दम क़रार दिया. इन क़दमों में एक अहम ऐलान अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोलने का है.
कैबिनेट के फ़ैसले के मुताबिक़ हाल ही में गठित संस्था Indian National Space Promotion & Authorization Centre ( IN- SPACe) को इस क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों के लिए एक समान व्यवस्था तैयार करने का ज़िम्मा दिया गया है, ताकि ये कम्पनियां भी भारतीय अंतरिक्ष के मूलभूत संरचना का उपयोग कर सकें. संस्था निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रोत्साहन और मार्गदर्शन का भी काम करेगी और इसके लिए नीतियों के ज़रिए अनुकूल माहौल पैदा किया जाएगा.
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